TOURISM

जोगेंद्रनगर राज्य स्तरीय मेले में हस्तकलाओं का बोलबाला, प्रदर्शनियों में महिलाओं के उत्पाद बने आकर्षण का केंद्र

 

  • रामलीला मैदान में सजी प्रदर्शनी में रियासतकाल की हस्तकलाओं की देखने को मिल रही है झलक

राजेश शर्मा


राज्य स्तरीय जोगेंद्रनगर देवता eले में पहली बार सियास्तकालीन हस्तकलाओं की झलक भी देखने को मिल रही हैमहिलाओं के द्वारा निर्मित घरेलू उत्पादों में अनूठी हस्तकला दशकों पुराने इस्तेमाल में लाए जाने वाले पारंपरिक उत्पादों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।जूट के धागों से तैयार किए गए साजो सजावट का सामान हाथों हाथ बिक रहा है।गद्दी प्रांदा, झूमर के अलावा हस्तकला से निर्मित ऐसे अनेकों उत्पाद बिक्री के लिए रखे गए हैं जिनकी खरीददारी को लेकर ग्राहकों की भीड़ भी है। अजिविका स्वयं सहायता समूह बाग गांव जटेहड़ की महिलाओं के द्वारा अनूठी हस्तकला से तैयार किए गए घरेलू उत्पादों की खरीददारी को लेकर भी ग्राहकों ने उत्साह दिखाया है। रेशम के धागे से हस्तकला से सूती कपड़े पर कढ़ाई कर तैयार किए गए रूमाल हर किसी को पसंद आ रहे हैं। वहीं द्रंग हल्के की चौहारघाटी के लोगों के द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले बांस से निर्मित टोकरी भी ग्राहकों की पहली पंसद बनी हुई है। वीरवार को शिवम स्वयं सहायता समूह की सदस्य पूजा ठाकुर ने बताया कि 50 रूपये से लेकर 500 रूपये तक जूट के धागों से निर्मित उत्पाद राज्य स्तरीय देवता मेले में बिक्री के लिए रखे गए हैं। इनकी खरीददारी को लेकर ग्राहकों में भी खूब उत्साह देखने को मिल रहा है।

 

300 रूपये में गद्दी परांदा, 550 रूपये में बिक रहा है चंबा का रूमाल


मेले में सजी पारंपरिक उत्पादों की प्रदर्शनी में चंबा रूमाल 550 रूपये तक बिक रहा है सफेद कपड़े पर सूती रेशम के धागे से की गई कढ़ाई से बने चंबा रूमाल की विशेषता है कि इसमें की गई कढ़ाई रूमाल के दोनों तरफ एक ही जैसी देखने को मिलती हैस्वयं सहायता समूह की संचालिका राजकुमारी ने बताया कि हाल ही में देश के राष्ट्रपति को भी उनके द्वारा तैयार चंबा रूमाल पसंद आया है महिलाओं के द्वारा अलग तरह की नकाशी से तैयार किया गया गद्दी परांदा 300 रूपये तक उपलब्ध है। झूमर 450 से 700 रूपये तक बिक रहे हैं। छोटे बच्चों के कपड़े डेढ सौ से ढाई सौ रूपये तक उपलब्ध है। पुरूषों की स्वेटर 650 रूपये जबकि महिलाओं की स्वेटर साढे पांच सौ रूपये तक उपलब्ध है।

महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित करने के साथ-साथ आमदनी भी कमा रही है राजकुमारी


अजिविका स्वयं सहायता समूह केंद्र की संचालिका राजकुमारी हस्तकला से न केवल आमदनी कमा रही है।बल्कि क्षेत्र की महिलाओं को भी स्वरोजगार प्रदान कर रही हैमुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना के तहत प्रशिक्षण केंद्र चलाकर बीते एक साल से करीब दस महिलाओं को अनूठी हस्तकला का प्रशिक्षण दिलाया। इसके लिए उन्हें सरकार से साढे़ 22 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि भी मिली। वहीं प्रशिक्षित महिलाओं को 9-9 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि के साथ हस्तकला का प्रशिक्षण भी राजकुमारी ने दिलाया। राजकुमारी का कहना है कि वह पहले घर के कमरे में अपनी हस्तकला से अजिविका कमा रही थी इसी बीच मुख्यमंत्री

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *