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हिमाचल में सोशल मीडिया ने बदला चुनाव प्रचार का अंदाज

हाइलाइट्स

  • अब सड़कों पर नजर नहीं आते पोस्टर और प्लास्टिक की लड़ियां

  • नेताओं के फोटो पल झपकते ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा दिए जाते हैं

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला। हिमाचल में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरो पर है। लेकिन बदलते परिवेश व आधुनिकता के दौर में चुनाव प्रचार का ढंग भी बदल गया है। सोशल मीडिया ने कुल मिलाकर एक नई क्रांति ला दी है। अब दीवारों पर प्रत्याशियों के चिपके सैकड़ों पोस्टर व शहरों में लगाई जाने वाली नेताओं की लंबी- लंबी लड़ियों का दौर गुजरे जमाने की बातें हो चुकी हैं। अब तक फेसबुक और व्हाट्सऐप ने चुनावों के प्रचार का अंदाज ही बदल दिया है। एक समय था जब ढोल- नगाड़े, वाहनों में लगे लॉउडस्पीकर, जगह-जगह वाहनों से फेंकी जा रही चुनावी सामग्री, गावों की गलियों से लेकर बाजारों की सड़‌के प्लास्टिक की नजर आती थी, चुनाव प्रचार का यह ढंग लगभग समाप्त हो चुका है।पहले नेताओं की जनसभाओं के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब तो नेता जनसभा में होता है और उसने क्या कहा फेसबुक पर सब फोटो सहित अपडेट हो जाता है।

  • पलक झपकते ही नेताओं के फ़ोटो लोगों के मोबाइल पर

    नेताओं के फोटो पल झपकते ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा दिए जाते हैं। लाइव वीडिओ बनाकर भी अपलोड किए जाते हैं, ताकि जनसभा में प्रत्याशी द्वारा दिया जा रहा संदेश क्षेत्र के हर कोने तक पहुंचाया जा सके।
  • राजनीतिक दल कर रहे सोशल मीडिया का पूरा प्रयोग

    राजनीतिक दल सोशल मीडिया का पूरा-पूरा उपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। इस के लिए सभी ने कार्यकर्ताओं की अलग-अलग से टीमें बना रखी है। एक टीम कार्यक्रमों में प्रत्याशी के साथ साथ नुक्कड़ सभाओं से लेकर बड़ी जनसभाओं में मौजूद रहती है और फोटोग्राफी का काम करती है और उन चित्रसे को दफ्तर में बैठी दूसरी टीम को भेजती है। ऑफिस में बैठी टीम इन चित्रों को एडिट करके सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, वाहट्सएप पर अपलोड करती है। इसमें फायदा यह रहता है कि एक तो समय बचता है और दूसरा आसानी से प्रचार भी हो जाता है।
  • साइटों पर दिख रहे स्टार प्रचारक

    इस चुनावी मौसम में कोई ही ऐसा नेता नहीं होगा, जिसका फेसबुक या वाहट्‌सऐप अकाउंट न हो। इसका एक कारण प्लास्टिक पर लगा प्रतिबंध भी माना जा रहा है। वहीं, चुनाव आयोग की सख्ती भी एक वजह है। लेकिन बावजूद इसके सोशल मीडिया चुनाव प्रचार में एक अलग ही रोल प्ले कर रहा है। इस बार चुनवों में बड़े स्टार प्रचारक तो अभी तक जनसभाओं में नहीं दिख रहे, लेकीन उनके संदेश और तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों के साथ छाई हुई है। साथ ही सोशल मीडिया के कारण युवा वर्ग का झुकाव भी राजनीति की तरफ बड़ा है।

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