सोलन में तैनात दो अफसरों ने सिविल सर्विसेज में हासिल किया 55वां और 69वां रैंक
कोचिंग और महंगे स्टडी मेटिरियल नहीं एनसीईआरटी की किताबें पढ़कर यूपीएसी की परीक्षा में पाया बेहतर मुकाम
हाइलाइट्स
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सुबाथू कंटोनमेंट के मुख्य अधिशासीअधिकारी योगेश ने पांच साल में पाई सफलता
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डगशाई और कसौली में मुख्य अधिशासी अधिकारी प्रिया रानी ने चार साल में पाया मुकाम
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला/ सोलन। संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को यूपीएससी सिविल मेन्स का रिजल्ट घोषित कर दिया। इस बार लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने टॉप किया है। लेकिन जिला सोलन में कंटोनमेंट बोर्ड में तैनात दो मुख्य अधिशासी अधिकारियों ने कड़े परीश्रम और सधी सोच से सफलता पाई है। सुबाथू कंटोनमेंट बोर्ड में तैनात मुख्य अधिशासी अधिकारी योगेश दिलोर ने आल इंडिया में 55 वां और कसौली और डगशाई छानवी परिषदों में मुख्य अधिशासी अधिकारी का कार्यभार देख रही प्रिया रानी 69 वां रैंक हासिल किया है। दोनों का कहना है कि कोचिंग और महंगे स्टडी मेटिरियल से अधिक फायदा नहीं होने वाला। एनसीईआरटी की किताबों पर फोकस करें। यूपीएसी की परीक्षा में बेहतर मुकाम पाने में काफी मदद मिलेगी।
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महंगी कोचिंग और महंगे स्टडी मेटिरियल से अधिक फायदा नहीं होने वाला
योगेश दिलोर मूलत: सोनीपत से हैं और उनका परिवार पंचकूला में सेटल है। पोस्ट हिमाचल से खास बातचीत में योगश ने बताया कि पांच साल के कडे़ परिश्रम के बाद उन्हें यह सफलता हाथ लगी है। उन्होंने छह माह की कोचिंग भी ली। लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि महंगी कोचिंग और महंगे स्टडी मेटिरियल से अधिक फायदा नहीं होने वाला। इसलिए उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों पर ही फोकस किया। साथ ही जाब में रहते हुए उनके कार्यक्षेत्र के कार्यों से काफी मदद मिली। कहा कि जो लोग जाब में रहकर तैयारी करते हैं। वह समझौता न करें। सुबह उठ लो, शाम को दो घंटे निकाल लो। काफी मदद मिलेगी। उनके पिता रणबीर सिंह सेना में नायब सूबेदार के पद पर सेवानिवृत हुए। मां अंजू देवी गृहणी हैं। योगेश ने नेशनल ला स्कूल आफ बैंगलोर में पढ़ाई करने के बाद प्राइवेट सेक्टर में जाब की। 2018 में किसी दोस्त की मदद करने के लिए प्रिलिम ट्राइ किया। लेकिन नहीं हुआ। दिमाग ने बोला अच्छा एग्जाम है इसे करना चाहिए। 2021 सफलता मिली और डिफेंस एसटेट में कदम रखा। 2023 जाब के साथ साथ एग्जाम दिया और 55वां रैंक हासिल किया। उन्होंने कहा कि पांच साल में केवल छह माह कोचिंग 2019 से कोचिंग ली है। सोचा कि इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। सेल्फ स्टडी करूंगा। दिमाग में था कि अटेंप्ट भी खराब होते हैं। लेकिन फोकस होकर पढ़ाइ की। पिछले क्वश्चन देख देख देखकर तैयारी की। भारत सरकार की एनसीईआरटी की किताबें खूब खंगाली। पाया कि इससे जुड़ा पेपर में बहुत कुछ आता है। वहीं पर ध्यान देना चाहिए। उनकी पत्नी भी यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं।
दादा की सोच ने प्रिया रानी के सपनों को लगाए हकीकत के पंख
कसौली और डगशाई में बतौर मुख्य अधिशासी अधिकारी सेवाएं दे रही 28 साल की प्रिया रानी ने 69वां रैंक हासिल किया है। चार अटेंप्ट में उन्हें यह सफलता हाथ लगी। मूलत: पटना के फुलवारी शरीफ के समीप की रहने वाली प्रिया किसान की बेटी हैं। पोस्ट हिमाचल से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके परिवार वालों खासकर दादा की लड़कियों के लिए सकारात्मक सोच ने उनके यूपीएससी के सपनों को हकीकत के पंख लगाएं। रूढ़ीवादी सोच से ऊपर उठकर दादा हमेशा कहते थे कि लड़कियों का पढ़ा लिखा होना बेहद जरूरी है। इससे ही मेरे इरादों को मजबूती मिलती रहीं और मैने सफलता पाई। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान मैने हमेशा लिमिटेड सोर्स रखे। कोई नया इंसान आकर कहता कि यह नया स्टडी मेटिरियल है और अच्छा है, मैनें कभी नहीं सुना। एनसीईआरटी से जुड़ा पढ़ती रही और आगे बढ़ती रही। रोजाना नोटस बनाती। नोट्स को रेगुलर कंपलाई करती और बाद में एक जगह (Multilple) शार्ट नोट्स बनाती। ताकि एग्जाम से समय बेहतर पढ़ सकूं। इससे मुझे मदद भी मिली। दूसरा अटेंप्ट में मेरा 284 रैंक आया। चौथा अटेंप्ट में मैने यूपीएससी मेन्स क्लीयर किया। बताया कि 12 वीं पटना में की। उसके बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बैंगलोर में की। फि र निजी कंपनी में जाब किया और यूपीएससी के लिए तैयारी करती रही। उनके पिता अभय कुमार किसान हैं और मां सुनीता शर्मा गृहणी। भाई जयंत माइक्रोसाफ्ट में बैंगलरु में है।