बगावत ने बदली कांग्रेस की रणनीति : अब विधायकों पर नहीं लगेगा दांव, एक बार फिर से पुराने चेहरों पर दारोमदार
हाइलाइट्स
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विक्रमादित्य, रघुबीर सिंह बाली, विनोद सुल्तानपुरी, मुकेश अग्निहोत्री को उतारने की थी तैयारी
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अल्पमत में आने के बाद कांग्रेस डिफेंसिव, फिर से अनुभवी चेहरों को उतारना बनी मजबूरी
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कांग्रेस की बढ़ रही मुश्किलें, प्रतिभा सिंह और रामलाल चुनाव लड़ने से कर रहे इंकार
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला। लोकसभा चुनावों से पहले बगावत के कारण अल्पमत की दहलीज पर पहुंची कांग्रेस में सियासी समीकरण उथल-पुथल हैं। राज्य सभा चुनाव में हुए भीतरघात ने हिमाचल कांग्रेस की राजनीति बिगाड़ दी है। विधानसभा चुनावों के जिताऊ चेहरों पर कांग्रेस लोकसभा चुनावों में दांव लगाने की तैयारी कर चुकी थी। अब बदले सियासी माहौल में पुराने अनुभवी चेहरों पर ही दारोमदार है। पुराने दिग्गजों को चुनावी रण में उतारना कांग्रेस की मजबूरी बन चुकी है। लेकिन अनुभवी चेहरे भी सियासी मैदान में उतरने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे मेंं कांग्रेस के लिए स्थिति बड़ी पेचिदा हो गई है। बता दें कि बगावत से पहले मंडी से विक्रमादित्य, कांगड़ा से रघुबीर बाली, शिमला से विनोद सुल्तानपुरी और हमीरपुर से मुकेश अग्निहोत्री के नाम लगभग तय थे, लेकिन बदले बगावत के सियासी भंवर में कांग्रेस ऐसी फंसी की प्रत्याशियों को लेकर नए सिरे से मंथन करना पड़ रहा है।
सियासी नजर………….
कांगड़ा
हिमाचल में सत्ता का दशा और दिशा तय करने वाले कांगड़ा संसदीय क्षेत्र काफी अहम है। सुधीर शर्मा की बगावत के बाद यहां परस्थितियां विकट हैं। कांग्रेस डा राजेश, पूर्व मंत्री आशा कुमारी और संजय चौहान पर मंथन कर रही है। आजतक कांगड़ा से ही लोकसभा चुनावों का चेहरा रहा है। चंबा को कभी मौका नहीं मिला। ऐसे में अगर आशा कुमारी का दावा मजबूत हो सकता है। जातीय समीकरण को देखते हुए हमेशा गद्दी और ओबीसी के चेहरे को तरजीह दी जाती है। हालांकि राजपूत वोटर का भी यहां दबदबदा रहा है। अब देखना है कि कांग्रेस जातीय समीकरण को किसी तरह संतुलित करके पार्टी प्रत्याशी तय करेगी। वहीं, चंद्र कुमार को प्रभारी बनाकर जातीय समीकरण कांग्रेस ने साधने का प्रयास किया है। लेकिन अब कांग्रेस गद्दी या राजपूत में से किसे चेहरा बनाती है, देखने योग्य होगा।
मंडी
मंडी संसदीय क्षेत्र पर सियासी पंडितों की निगाहे हमेशा रही हैं। वीरभद्र परिवार का यहां दबदबा रहा है। मंडी सीट से प्रतिभा सिंह का नाम पैनल में आगे किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। अब पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, प्रकाश चौधरी, अमित पाल सिंह के नाम की चर्चा है। कौल सिंह मंडी की राजनीति का बड़ा चेहरा रहा है। लेकिन हाल ही में विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद उनका राजनैतिक भविष्य हाशिये पर है। हालांकि बगावत के बाद सरकार के बेहतर संचालन के लि बनी समन्वय समिति में कौल सिंह को तरजीह मिली है। वह भी अनुभवी चेहरा हो सकते हैं। उधर, प्रकाश चौधरी पूर्व मंत्री रहे हैं। जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। वह एससी से संबंध रखते हैं। लेकिन वह नाराज हैं और उनकी नाराजगी और दूर करने के साथ इन्हें भी मौका दिया जा सकता है। वहीं, अमित पाल वीरभद्र परिवार के खास सदस्य माने जाते हैं। स्व. वीरभद्र के ओएसडी रहे हैं। प्रतिभा के लोकसभा चुनाव लड़ने के समय कमान इन्होंने संभाली थी। वहीं, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष निगम भंडारी का नाम भी चर्चा में है। यह किन्नौर से संबंध रखते हैं। एक बात तो तय है कि मंडी में वीरभद्र परिवार का मनपसंद चेहरा ही प्रत्याशी बनेगा। क्योंकि विक्रमादित्य मंत्री और मंडी संसदीय का प्रभारी है। रानी सांसद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वीरभद्र का गढ़ मंडी माना जाता है।
हमीरपुर
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर होगी। सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री यहीं से हैं। इनका भाजपा के मजबूत धूमल परिवार से हैं। ऐसे में हमीरपुर में कांग्रेस सोच समझकर नए चेहरे पर दाव लगाने के मूड में है। जिसमें मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था को चुनावी मैदान में उतारकर भाजपा को चौंकाया जा सकता है। उनके पिता मुकेश अग्निहोत्री बड़ा चेहरा हैं और ऊना भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां कांग्रेस सेंधमारी कर सकती है। दो अन्य नाम पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर और सुक्खू के करीबी सत्तपाल रायजादा हैं। दोनों विधायक हारे हैं। राम लाल भी चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। पूर्व सैनिक भी यहां का प्रत्याशी हो सकता है। अब यहां देखना होगा किसका टिकट फाइनल होगा।
शिमला
कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट शिमला मानी जा रही है। पांच मंत्री और दो सीपीएस यहीं से हैं। ऐसे में कर्नल शाडिल का अनुभव देखते हुए उन्हें प्रभारी बनाया गया है। शिमला में कांग्रेस की स्थिति तो ठीक है, लेकिन मजबूत दावेदार की दरकार है। कांग्रेस पूर्व विधायक सोहन लाल, प्रदेश एससी मोर्चा के अध्यक्ष अमित नंदा और सरस्वती नगर से जिला परिषद कौशल मुंगटा पर सियासी दांव लगा सकती है।
Blog- Pankaj Pandit Senior Journalist