सियासी करंट: दूध की जली कांग्रेस अब अपनों पर ही लगाएगी दांव
हाइलाइट्स
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टिकट आवंटन की छाछ फूंक फूंक कर पीने की तैयारी
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भाजपा के बागियों को कांग्रेस में नहीं किया जा रहा शामिल
पंकज पंडित
दूध का जला छाछ भी फूंक- फूंक कर पीता है। यह कहावत पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी पर फिट हो रही है। बागवत के बाद अब कांग्रेस पार्टी उपचुनावों में प्रत्याशी उतारने से पहले गहन मंथन करने को मजबूर है। भाजपा ने भले ही बागियों को साथ में लाकर कांग्रेस को दवाब में ला दिया हो, लेकिन लगता है कि कांग्रेस इस भाजपा के बागियों से दूरी बनाकर अपने पार्टी कैडर को ही या यूं कहें कि पुराने नेताओं ही दाव लगाने की तैयारी कर रही है। जिसकी स्थिति दो दिन में साफ हो सकती है। इसका इशारा अबतक भाजपा से नाराज चल रहे किसी भी नेता की कांग्रेस में कई चरणों के बातचीत के बावजूद एंट्री न होना बता रहा है।
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बात अगर लाहौल -स्पीति की करें तो वहां से बागी होकर चुनाव लड़ने की घोषण कर चुके राम लाल मारकंडेय कांग्रेस से टिकट का आश्वासन नहीं मिला है। हालांकि इसके पीछे स्थानीय समुदाय का विरोध भी एक कारण माना जा रहा है, उसके बावजूद कांग्रेस अभी भी राम लाल को कोई भी संकेत नहीं दे रही है।
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यही हाल धर्मशाला विधानसभा का है, जहां पर राकेश चौधरी जो पूर्व में भाजपा के प्रत्याशी थे, उनके भी बागी होकर चुनाव लड़ने के ऐलान के बावजूद कांग्रेस ने कोई भी सकारात्मक संकेत नहीं दिया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी मैदान में ताल ठोक रहे हैं और लोगों से जनमर्थन मांग रहे हैं।
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गगरेट में भी राकेश कालिया के भाजपा छोडने के बाद कांग्रेस में ज्वाइनिंग नहीं हो सकी है। शिमला संसदीय सीट से भी वीरेंद्र कश्यप की कांग्रेस में आने की अटकलों को लेकर विराम लगता नजर आ रहा है।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जिस तरह से बागियों पर हमला बोला है, उससे साफ है कि भाजपा के बागियों को कांग्रेस का टिकट देकर कांग्रेस अपने इस मुद्दे को खत्म नहीं करना चाहेगी और वह देवभूमि में धोखे की राजनीति को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाएगी। वहीं कुटलैहड में विवेक और हमीरपुर से रायजादा को आगे करके साफ कर दिया है कि कांग्रेस अपनों पर ही दाव लगाएगी।
टिकट पर आज से मंथन
हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा और छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी उतारने से पहले दिल्ली में दो दिन मंथन करेगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के घर पर आज शाम मीटिंग होगी। हाईकमान द्वारा गठित कोर्डिनेशन कमेटी के पांचों सदस्यों को दिल्ली बुलाया गया है। फिलहाल मंडी से प्रतिभा सिंह और हमीरपुर से सत्तपाल रायजादा का नाम तय माना जा रहा है। मगर कांगड़ा और शिमला में अभी पेंच फंसा हुआ है। बीजेपी के दो बार सांसद रहे वीरेंद्र कश्यप की एंट्री से बगावत से डरी कांग्रेस दयाल प्यारी को टिकट दे सकती है। शिमला संसदीय क्षेत्र से अमित नंदा और पूर्व विधायक सोहन लाल भी टिकट की रेस में है। कांगड़ा से पूर्व मंत्री एवं पांच बार की विधायक आशा कुमारी को टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। मगर कांग्रेस पार्टी कांगड़ा जिला से लोकल प्रत्याशी देना चाह रही है कि क्योंकि कांगड़ा लोकसभा हलके में जिला के 13 विधानसभा क्षेत्र है। आशा कुमार चंबा जिला से संबंध रखती है और चंबा जिला की पांच से 4 विधानसभा सीटें ही कांगड़ा संसदीय हलके में है। राजेश शर्मा, करण पठानिया औरसंजय चौहान भी टिकट की रेस में शामिल है।