सियासी करंट-5: विक्रमादित्य, आस्था अग्निहोत्री, आशा कुमारी और विनोद सुल्तानपुरी पर दांव खेलने की तैयारी
हाइलाइट्स
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भाजपा के दो नए चेहरों के जवाब में चारों नए और अनुभवी चेहरे उतारकर चौंकाने जा रही कांग्रेस
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पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता रहा है खाली, इस बार भी अग्निपरीक्षा
पंकज पंडित
शिमला। प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए भले ही दो माह का समय हो, लेकिन भाजपा ने चारों संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी घोषित कर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल की ली है। वहीं, अभी भी कांग्रेस प्रत्याशियों पर अंतिम फैसला नहीं ले सकी है। लेकिन अब कांग्रेस ने चारों लोक सभा क्षेत्रों में चारों नए प्रत्याशी देने का ऐलान कर दिया है, जिसमें युवा और पुराने अनुभवी चेहरों से सियासती संतुलन साधा जाएगा। यह चेहरे मंडी से विक्रमादित्य, हमीरपुर से आस्था अग्निहोत्री, कांगड़ा से आशा कुमार और शिमला से विनोद सुल्तानपुर हो सकते हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में अपना खाता नहीं खोल सकी है। जबकि मात्र एक उपचुनाव में उन्हें मंडी संसदीय क्षेत्र में जीत मिली थी, जिसमें पार्टी का कम और वीरभद्र सिंह के निधन के उपरांत उपजी सहानुभूति मुख्य कारण रहा। लेकिन इस बार लोकसभा चुनावों की भूमिका ही अलग हो गई है। केंद्र नहीं बल्कि सरकार से जुड़ा चुनाव बन गया है। यदि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस गंभीरता से नहीं उतरती है, इसका खामियाजा उन्हें छह विस क्षेत्रों में होने वाले उपुनाव में भी भुगतना पड़ सता है, जिसका सीधा असर सरकार पर पड़ेगा।
हिल्स किंग और बालीवुड क्वीन का मुकाबला होगा रोमांचक
मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने सभी राजनैतिक चेहरों को दरकिनार कर इस बार बालीवुड क्वीन कंगना रणौत पर दांव खेला है। जिसे सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद बताया जा रहा है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता के बयान के बाद कंगना रणौत न केवल प्रदेश बल्कि पूरे नेशनल मीडिया पर सुर्खी बनी हुई है। देश का सबसे बड़ा दूसरा लोकसभा क्षेत्र अभी सुखराम व वीरभद्र जैसे दिग्गजों का राजनैतिक मैदान हुआ करता था, लेकिन दो लोकसभा चुनावों में भाजपा भारी पड़ी है। विधानसभा में भी देखा जाए तो जिला मंडी में कांग्रेस का खाता इस लोकसभा क्षेत्र में खाली है। कंगना के मैदान में उतरने के बाद भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई है। वहीं, कांग्रेस की सांसद प्रतिभा सिंह के गैरजिम्मेदारा बयानों में पार्टी के साथ साथ कैडर के मनोबल को भी चोट पहुंचाई है। ऐसे में अब यहां से कांग्रेस की ओर से मजबूत टक्कर देने के लिए विक्रमादित्य को मैदान में उतारने की तैयार हो चुकी है। जिसमें कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा खुद सक्रिय रूप से इस मामले को देख रही हैं। निश्चित तौर पर यदि विक्रमादित्य कंगना के सामने होंगे तो यह हिल्स किंग और बालीवुड क्वीन का मुकाबला काफी रोमांचक होगा।
नड्डा अनुराग बनाम सुक्खू मुकेश
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र ऐसा प्रदेश का संसदीय क्षेत्र है, जिसमें पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। यहां पर भाजपा के युवा व फायर ब्रांड नेता पांचवी बार जीत का दावा लेकर मैदान में उतरे हैं। उनके सामने कांग्रेस को कोई भी बड़ा चेहरा नहीं मिल पा रहा है। लगातार चार बार की हार में इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस कैडर का मनोबल टूट चुका है। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र होने के चलते कांग्रेस के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। सबसे अहम है कि नौ बागियों में से छह इसी संसदीय क्षेत्र से संबंधित रखते हैं। ऐसे में अब कांग्रेस के लिए चुनौतियां और विकट हो गई हैं। क्योंकि अनुराग और मोदी का जादू न केवल संसदीय क्षेत्र में रोकना होगा, साथ ही छह सीटों पर होने वाले उपचुनावों में भी टक्कर देनी होगी। ऐसे में अब यहां से कांग्रेस नए चेहरे के रूप में मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था अग्निहोत्री पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है। जिससे की क्षेत्रीय संतुलन साधकर इस मुकाबले को नजदीकी किया जा सके। अब देखना है कि अनुराग और नड्डा की जोड़ी को मुकेश व सुक्खू की जोड़ी किस तरह से चुनौती दे पाती है।
कांगड़ा में कांग्रेस को आशा से आशा
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र प्रदेश का सबसे अहम संसदीय क्षेत्र है। यहां से भाजपा ने नए चेहरे डा राकेश भारद्वाज पर दांव खेला है। जबकि इनके पूर्व सांसद किश्न कपूर पार्टी से नाराज चल रहे हैं। यहां से कांग्रेस पहली बार चंबा जिला से आशा कुमारी को प्रत्याशी के रूप में उतार रही है। अनुभवी नेता है महिला भी है। जाना पहचाना कांग्रेस का चेहरा है। वहीं राजनैतिक रूप से उपेक्षित चंबा को भी साधने का प्रयास कांग्रेस करेगी। वहीं, जिला कांगड़ा में पहले ही कांग्रेस एससी और आेबीसी को कैबिनेट रैंक व दो राजपूत और एक ब्राहम्ण नेताओं को कैबिनेट रैंक देकर जातीय समीकरण साधने का प्रयास कर चुकी है। आशा के मैदान में आने के बाद यहां भाजपा के लिए चुनौती आसान नहीं होगी।
एक बार फिर से पुरानी लिगेसी पर दांव लगाएगी कांग्रेस
शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की तरफ से विनोद सुल्तानपुरी या फिर कोई सेलिब्रटी मैदान में आ सकता है। पांच बार सांसद रहे केडी सुल्तानपुरी के बेटे विनोद को काफी अनुभव है। वह राहुल गांधी के भी काफी करीबी माने जाते हैं। वहीं, कांग्रेस एक सेलिब्रटी पर भी दांव खेल सकती है, जिसकी चर्चा चली हुई है। यहां से कांग्रेस के पांच मंत्री और दो सीपीएस हैं। हालांकि भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप पुराना चेहरा है और डा राजीव बिंदल प्रदेशाध्यक्ष हैं।