हाइलाइट्स
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विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर के बाहर धरने पर बैठे तीनों
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22 मार्च विधानसभा सचिवालय पहुंचकर दिया था इस्तीफा
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला, गीता भारद्वाज। इस्तीफा मंजूर न करने पर हिमाचल के तीनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा सचिवालय के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। राज्य सरकार में दवाब करने का आरोप लगाते हुए तीनों विधायक सुबह विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। इनकी मांग है कि इस्तीफे को जल्द से जल्द मंजूर किया जाए। विधायक के एल ठाकुर, होशियार सिंह, और आशीष शर्मा हैं। बता दें कि निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर विधानसभा सचिवालय पहुंचकर इस्तीफा दिया था। पहले यह इस्तीफा विधानसभा सचिव को दिया गया। इसके बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल को भी इसकी प्रति तीनों निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा सौंपने के बाद व्यक्तिगत तौर पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया से भी मुलाकात कर इस्तीफा सौंपा था। इस्तीफा देने के बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने 23 मार्च को दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर, होशियार सिंह और आशीष शर्मा ने कहा कि विधानसभा सचिवालय जान-बूझकर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहा है।
यह रखे तर्क
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जब तीनों निर्दलीय विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, तो ऐसे में इस्तीफा स्वीकार न करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
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निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने कहा कि कांग्रेस के छह विधायकों ने उनके खिलाफ शिकायत दी है। ऐसे में इन विधायकों से पूछना चाहते हैं कि क्या यह कांग्रेस विधायक हरियाणा और उत्तराखंड तक तीनों निर्दलीय विधायकों के पीछे जा रहे थे।
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राज्यसभा चुनाव में किसे वोट देना है और किसे नहीं, यह निर्दलीय विधायकों का अपना निजी अधिकार है। ऐसे में उनका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार नहीं किया जा सकता।
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होशियार सिंह ने कहा कि अगर स्पीकर की ओर से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है, तो आने वाले वक्त में कोर्ट की राह अख्तियार करेंगे।
हिमाचल प्रदेश निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने धरना प्रदर्शन करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को 22 तारीख को हम तीनों निर्दलीयों विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था और 23 तारीख को भाजपा पार्टी जॉइन कर ली थी। बार-बार निवेदन के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष हमारा इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे हैं और अध्यक्ष की ओर से एक नोटिस दिया गया और उसमें लिखा गया कि तीन निर्दलीय विधायकों ने किसी के दबाव में ये इस्तीफा दिया है उन्होंने कहा कि हमने अपनी स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है। हम पर किसी का दबाव नहीं था और न ही हमें कोई एलयोर किया गया है। हम पर ऐसे आरोप लगाना बिलकुल गलत है। किसी भी राजनीतिक पार्टी का हम पर कोई प्रेशर नहीं था। स्पीकर एक कॉन्स्टिट्यूशनल पोस्ट है और स्पीकर किसी के दबाव में आकर अगर ऐसी नोटिस इश्यू करता है तो वो लोकतंत्र की हत्या हैं और बार-बार आग्रह करने के बाद, बार-बार ईमेल, बार-बार उनको रिपीटेड रिमाइंडर देने के बाद भी स्पीकर साहब ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और उसकी एवेज में एक नोटिस निकाल कर कहा गया कि इस्तीफा क्यों दिया एक्सप्लेनेशन दो।
के एल ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कहा कि हम इंडिपेंडेन्ट है, हम किसी पार्टी से बंदे हुए नहीं है। एक इंडिपेंडेन्ट से कैसे एक्सप्लेनेशन मांग सकते हैं? अगर कोई इंडिपेंडेंट उम्मीदवार जीत कर के आया है तो उससे एक्सप्लेनेशन मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है। कांग्रेस सरकार में अभी तक हिमाचल प्रदेश में 14 महीने में एक भी विकास का कार्य नहीं हुआ। जितने भी कार्य हुए वो सभी पिछली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में करवाए गए। उन्होंने इसी के विरोध में धरना प्रदर्शन करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हत्या न हो, तुरन्त प्रभाव से हमारा इस्तीफा मंजूर करें और तीनों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान करवाए जाए जिससे दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जाएगा।
आशीष शर्मा ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में हमारी पिछले 14 महीने में हमारी बेइज्जती और मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई गई है उन्होंने कहा कि यह मान-सम्मान की ठेस मुझे नहीं बलकि मेरे लोगों को पहुंची है मेरी जनता को पहुंची है। कांग्रेस सरकार से हम अप्पोइंटमेंट मांगते रहे। हमें 14 महीने अप्पोइंटमेंट नहीं मिली। बहुत-सी घोषनाएं करने के बावजूद भी एक भी घोषणा पुरी नहीं हुई। मैडिकल फाइलें क्लियर नहीं हुई। 1 लाख तक की डिमान्ड के लिए कांग्रेस सरकार के पास पैसा नहीं था। आशीष शर्मा ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को पैसा देते रहे, लेकिन हम निर्दलीय विधायकों का कोई कार्य नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 3.5 साल का समय रह गया है जब हम अपनी जनता के पास जाएंगे तो जनता पूछेगी की आपने क्या कार्य किया? हम जनता को क्या जवाब देंगे। 8 महीनों से कांग्रेस के मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश के बावजूद भी लेकिन एक बार भी मुख्यमंत्री ने समय नहीं दिया। 14 महीनों से जो जलीलयत हमें मिलती रही उसी के निष्कर्ष से हम सभी निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।जनता की दी हुइ कुर्सी और जनता के आशीर्वाद से हम कुर्सी पर बैठे हैं और यदि हम जनता का कार्य नहीं कर सके तो हमे इस पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि किस तरह से यह कांग्रेस सरकार लोकतंत्र का गला घोट करके हमारे विधासभा क्षेत्रों की जनता को प्रताड़ित कर रही है।