सरकार की याचिका खारिज, हाइकोर्ट ने कहा मिड-डे मील वर्कर्ज को पूरे साल का वेतन दें
हाइलाइट्स
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12 माह वेतन देने के फैसले को चुनौती देने वाली सरकार की याचिका खारिज
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कोर्ट ने कहा सरकार वेतन बढ़ा सकती है तो 12 माह का वेतन क्यों नहीं दे सकती
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने मिड-डे मील वर्कर्ज को बड़ी राहत दी है। वर्कर्ज को 12 माह का वेतन देने के कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय में न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि मिड-डे मील वर्कर्ज को पूरे साल का वेतन दे। मिड-डे मील वर्कर्ज के संघ ने पूरे साल के वेतन की मांग हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की थी। याचिका को स्वीकारते हुए मिड-डे मील वर्कर्ज को 12 माह का वेतन दिए जाने के आदेश दिए थे। इन आदेशों को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसे न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि मिड-डे मील वर्कर्ज को दस माह के बजाय पूरे साल का वेतन दे।
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सरकार का यह था तर्क
सरकार का कहना था कि यह केंद्र सरकार की स्कीम है, इसलिए प्रदेश सरकार इस योजना के तहत अपने स्तर पर इन्हें पूरे साल का वेतन नहीं दे सकती।
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कोर्ट का तर्क
इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब प्रदेश सरकार अपने स्तर पर इन वर्कर्ज के वेतन को बढ़ा सकती है तो पूरे साल का वेतन क्यों नहीं दे सकती।
सीटू राज्य कमेटी ने जताई खुशी
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा मिड डे मील कर्मियों को बारह महीने का वेतन देने के निर्णय का सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने स्वागत किया है व इसे मध्याह्न भोजन कर्मियों के पन्द्रह साल के लंबे न्यायिक संघर्ष की जीत करार दिया है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम व उपाध्यक्ष जगत राम ने कहा कि मिड डे मील यूनियन सम्बन्धित सीटू द्वारा पिछले पंद्रह वर्षों के दौरान लड़े गए इस न्यायिक मुकद्दमे में अंततः मिड डे मील कर्मियों की जीत हुई है। इस से प्रदेश के इक्कीस हज़ार से ज़्यादा मध्याह्न भोजन कर्मियों को आर्थिक लाभ होगा।
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