बद्दी- बरोटीवाला के भूजल प्रदूषण का पता लगाए सरकार, डीसी, बीबीएनडीए, पीसीबी से रिपोर्ट तलब
हाइलाइट्स
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आईआईटी मंडी से करवाई जाए भूजल प्रदूषण पर जांच
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प्रदेश सरकार को जारी किए आदेश, मामले पर सुनवाई 27 जून को होगी
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जनहित याचिका पर कोर्ट का संज्ञान, संबंधित एजेंसियों से भी रिपोर्ट तलब
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला। बद्दी बरोटीवाला के भूजल में कैंसर जैसी बीमारी के रसायन मिलने के आईआईटी मंडी और जम्मू के शोध के बाद एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। इस संबंध में कोर्ट ने बद्दी बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र में भू जल प्रदूषण का पता लगाने के सरकार आदेश जारी किए हैं।
कोर्ट ने अपने आदेशों में सरकार को भूजल प्रदूषण की जांच आईआईटी मंडी से करवाने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए। इस मामले में हाईकोर्ट ने सोलन जिले के बद्दी में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता से कम दोहन किये जाने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सहित जिलाधीश सोलन, एसडीएम नालागढ़, सीईओ बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण, प्रतिनिधि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व सीईओ बद्दी इनफ्रास्ट्रक्चर बद्दी टेक्निकल ट्रनिन्ग इन्स्टिट्यूट से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी। मामले के अनुसार सोलन जिला के बद्दी में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी का सही से उपचार न होने के कारण बद्दी क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है।
करीब 60 करोड़ की लागत से इस क्षेत्र में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमैंट प्लांट स्थापित किया है। इसकी प्रस्तावित क्षमता 250 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का उपचार करने की है जबकि इसमें 110 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का ही उपचार किया जा रहा है। ट्रीटमैंट प्लांट की क्षमता से कम दोहन किये जाने की बात तब सामने आयी जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीयों ने यह बात ज़िला परिषद की त्रैमासिक बैठक में बताई थी। आरोप है कि क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्त्रोत औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी से प्रदूषित हो रहे हैं जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। मामले पर सुनवाई 27 जून को होगी।
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