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नागरिकता संशोधन अधिनियम देश में लागू, राम मंदिर के बाद मोदी सरकार का बड़ा दाव

 

हाइलाइट्स

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए नियमों को अधिसूचित किया
  • पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को मिलेगी भातर कर नागरिकता

हिमाचल पोस्‍ट न्‍यूज एजेंसी


नई दिल्‍ली। भाजपा ने लोकसभा चुनावों  से पहले देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया है।  राम मंदिर के बाद  मोदी सरकार का यह बड़ा दाव है। चुनावी आचार संहिता से  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियमों की सोमवार शाम अधिसूचना जारी की। इससे  पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए तहत शरणार्थियों/अल्‍पसंख्‍यकों को देश की नागरिकता मिल सकेगी।

 

आखिर क्‍या है सीएए


सीएए का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। लंबे समय से भारत में शरण लेने वालों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।

मुसलमान इसलिए कर रहे विरोध


सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। कुछ का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है। उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकते हैं।

क्या कहती है सरकार?


सरकार का यह मानना है कि सीएए केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना अधिक है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। सरकार का कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।

पूर्वोत्तर में सीएए को लेकर क्यो विरोध?


पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों का मानना है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जिससे उनकी जनसांख्यिकी बदल सकती है और संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।

 

ऐसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन?


सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे। आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी।

(कंटेंट इंटरनेट मीडिया, प्रिंट, डिजिटल मीडिया )

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