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कुनिहार के युवा कावड़ियों ने 51 लीटर जल के साथ यात्रा आरंभ की

 

हाइलाइट्स

  •  सृष्टि में शिव भक्त रावण को पहली कावड़ उठाने का सौभाग्य प्राप्त है
  • बागपत में पूरा महादेव में कावड़ में जल भर कर किया था महादेव का जलाभिषेक
  • सात सदस्यीय कावड़ दल सबसे भारी कावड़ उठा कर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


कुनिहार(सोलन), अक्षरेश शर्मा। भोले शंकर की भक्ति में सराबोर कुनिहार के युवा कावड़ियों ने 51 लीटर जल के साथ यात्रा आरंभ की है। तीसरे दिन की यात्रा भगवान पुर पड़ाव से आरंभ हुई। जिला सोलन का यह सात सदस्यीय कावड़ दल सबसे भारी कावड़ उठा कर अपने गंतव्य की ओर छोटे छोटे मुकाम तय करके पग बड़ा रहे हैं।

बता दें कि शिव पुराण के मुताबिक सावन माह में समुद्र मंथन हुआ था। मंथन के दौरान समुद्र से चौदह प्रकार के माणिक सहित अमृत व हलाहल(विष) निकला था। देवताओं व असुरों में अमृत व माणिको के बंटवारे के बाद इस जहरीले हलाहल से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पी लिया। भगवान शिव ने ये विष गले मे जमा कर लिया व जिस वजह से उनके गले मे तेज जलन होने लगी। मान्यता है कि शिव भक्त रावण ने भगवान शिव के गले की जलन को कम करने के लिये उनका गंगाजल से अभिषेक किया।रावण ने कावड़ में जल भर कर बागपत स्थित पूरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया व इसके पश्चात ही कावड़ यात्रा का प्रचलन आरम्भ हुआ। कावड़ यात्रा करने से भोले शंकर सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते है व जीवन मे सभी संकटों को दूर करते है।

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