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निजी बस चालक परिचालकों को न बस अड्डों में रेस्ट रूम न हाथों मेें र्ई-टिकटिंग मशीनें

 

हाइलाइट्स

  • मांगों को लेकर परिवहन निदेशक से मिले निजी बस चालक परिचालक यूनियन

  • निदेशक परिवहन से सुविधाएं दिए जाने की मांग

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला, गीता भारद्वाज। राजधानी शिमला सहित प्रदेश भर में प्राईवेट बस चालक परिचालकों के लिए बस अड्डों पर न तो आराम करने के लिए रेस्ट रूम हैं और न ही बस में यात्रियों के टिकट काटने के लिए हाथों में ई-टिकटिंग मशीनें। आधुनिकता के इस दौर निजी बस चालक परिचालक हाथों से टिकट फाड़ते हुए दिखाई देते हैं। इन्हीं मांगों सहित अपनी अन्य समस्याओं को लेकर निजी बस चालक एवं परिचालक यूनियन परिवहन निदेशक डी.सी नेगी से भी मिली है और उन्हें मांग पत्र सौंपा कर मांगे पूरी करने की मांग की है। यूनियन के उपाध्यक्ष मनोज टंडन व महासचिव अखिल गुप्ता ने निदेशक को बताया कि प्रदेश भर में करीब 3300 निजी बसें चलती है लेकिन न तो निजी बा ऑप्ररेटर्ज की ओर से पहचान पत्र दिया जाता है और न ही अन्य कोई सुविधाएं। उन्होंने निदेशक से मांग कि बस मालिकों की बैठक बुलाकर मालिकों को चालक परिचालकों को सुविधाएं देने के निर्देश जारी करें। उन्होंने निदेशक से मांग कि सभी चालक परिचालकों को पहचान पत्र जारी करवाए जाएं। इसके अतिरिक्त वेतन देने सीधे हर माह बैंक खाते में दी जाए। इसके अतिरिक्त चालक परिचालकों को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के हर बस अड्डे पर रेस्ट रूम की सुविधा दी जाए।

ई-टिकटिंग मशीनें न होने से नहीं चलता पता कितने किमी का कि तना किराया


परिचालकों ने परिवहन निदेशक को बताया कि प्रदेश में मात्र 5 प्रतिशत परिचालकों के पास ही बसों में ई-टिकटिंग मशीनें है, अन्य परिचालक आज भी पुराने तरीके से ही यात्रियों को टिकट देते हैं। परिचालकों ने बताया कि कितने किलोमीटर में कितना किराया बनेगा इसका भी पता नहीं चल पाता। बसों में कई बार यात्री का किराया 7 रुपए बनता है तो यात्री 5 रुपए पकड़ा कर चले जाते है। ऐसे में प्राईवेट बसों में ई-मशीनों को होना जरूरी है।

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