शख्सियत: सामाजिक सरोकार के पथ पर स्वर्गीय नरेश गर्ग ने बनाई अमिट पहचान
हाइलाइट्स
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जरूरत मंदों की शिक्षा, लोक -कलाकारों के लिए हमेशा आगे बढ़ाए हाथ
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होश संभालते ही सनातन धर्म सभा के साथ जुडे़ और रखी जन्माष्टमी की नींव
जोगिंद्र कुमार
सुबाथू। ताउम्र सादगी से सामाजिक सरोकार के पथ पर चलकर सुबाथू के स्वर्गीय नरेश गर्ग ने अपनी अमिट पहचान बनाई है।आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन लोगों के जहन में उनकी शख्सियत आज भी जिंदा है। जरूरत मंदों की शिक्षा हो, लोक कलाकारों का उत्थान या
कोई भी सामाजिक व धार्मिक कार्य उन्होंने नेक नीयत से साथ मदद के हाथ बढ़ाए। इसी माह उनकी जयंती थी। स्वर्गीय नरेश गर्ग का जन्म फरवरी,1942 में ही सुबाथू में हुआ था और 2022 में उनका निधन। होश संभालते ही वह सनातन धर्म सभा के साथ जुडे़ और जिंदगी का कारवां आगे बढ़ाकर नाम कमाया……
सुबाथू में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की रखी नींव, हिमाचल में बनाई पहचान
युवावस्था में नरेश गर्ग श्री ठाकुर जी मंदिर की सेवा में जुट गए। अपने साथियों शंकरदास गुप्ता, दिनेश यादव, भोपाल शर्मा, विजय रसिक, राम गोपाल, सुरेश गुप्ता, सुभाष गुप्ता, मनमोहन शर्मा, राज कंवर, हरिचंद, डा रामजी दास, अजय शर्मा, सुशील गर्ग, परस राम, प्रमोद मारवाह के साथ मिलकर सुबाथू में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की शोभा यात्रा की नींव रखी, जिसकी पूरे प्रदेश में पहचान है।
भगवान शिव और केवट का किरदार निभा सुबाथू को अयोध्या नगरी का रंग चढ़ाया
सुबाथू के कलाकारों के साथ मिलकर सुबाथू कला निकेतन संस्था का दामन पकड़ा ओर रामलीला का मंच तैयार किया। इस मंच पर किरदार निभाने वाले कलाकारों ने अपने वक्त में सुबाथू को अयोध्या नगरी का रंग चढ़ा दिया, लंबे समय तक रामलीला में भगवान शिव सहित केवट का किरदार निभाया।
ग्रामीण छात्र- छात्राओं की शिक्षा का ख्याल रखा
2022 में दुनिया को अलविदा कहने से पहले तक उन्होंने सुबाथू सनातन धर्म महाविद्यालय में वित्त सचिव रहते हुए सैकड़ों ग्रामीण छात्र- छात्राओं की शिक्षा का ख्याल रखा।
(कंटेंट:पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी)