निजी जमीन पर नेरचौक मेडिकल कालेज, भू-मालिक ने सरकार से मांगा दस अरब
हाइलाइट्स
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हाई कोर्ट पहले ही प्रदेश सरकार को मीरबख्श को कृषि योग्य भूमि देने के आदेश दे चुका है
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जिला प्रशासन ने पद्धर उपमंडल के तहत झंटीगरी फूलाधार में जमीन का भेजा प्रस्ताव , लेकिन भूमालिक ने लेने से किया इंकार
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
नेरचौक(मंडी)। नेरचौक मेडिकल कालेज समेत अन्य सरकारी परिसर जिस भूमि पर बने हैं, उस भूमि के मालिकाना हक की लड़ाई हाइकोर्ट में जीतने वाले मीर बख्श ने प्रदेश सरकार की मुश्किल बढ़ा दी हैं।सोमवार को प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मीर बख्श ने प्रदेश सरकार से भूमि के बदले 10.61 अरब रुपये की राशि दिलाने की मांग की है। हाई कोर्ट पहले ही प्रदेश सरकार को उसे कृषि योग्य भूमि देने के आदेश दे चुका है।
यह है मामला
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2000 के आसपास नेरचौक मेडिकल कालेज का निर्माण शुरू हुआ। उस समय अचानक से सामने आए एक शख्श मीर बख्श की ओर से प्रदेश उच्च न्यायालय में यह मामला दायर किया गया कि यह जमीन उसके पुरखों की है।
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दस्तावेजी सबूतों के आधार पर प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर यह याचिका सीडब्ल्यूपी नंबर 992-2002 मीर बख्श बनाम केंद्र सरकार व अन्य के मामले में नौ जनवरी, 2009 को आए निर्णय में सरकार को आदेश दिए कि मीर बख्श को 91 बीघे 16 बिस्वा पांच बिस्वांसी जगह उपलब्ध करवाई जाए। इसके बाद इस मामले में सरकार ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था, मगर वहां पर भी यही फैसला बरकरार रहा, लेकिन इसके बाद भी अब तक मीर बख्श को भूमि नहीं मिल सकी है।
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अब बताया जा रहा है कि इस मामले में न्यायालय ने कड़ा रूख अपनाते हुए सरकार को यह भूमि तुरंत देने के आदेश दिए हैं, लेकिन एक साथ 91 बीघे जगह उपलब्ध होना अपने आप में एक टेढ़ी खीर बन गया है।
प्रशासन सरकार के प्रयास नहीं चढ़े सिरे
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उपायुक्त मंडी की ओर से अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने एक पत्र सभी उपमंडल अधिकारियों को 30 मई, 2024 को लिखा गया और कहा गया कि कहीं भी 91 बीघा सरकारी जमीन उपलब्ध है, तो उसका केस तैयार किया जाए। ताकि उसे मीरबख्श को दिया जा सके।
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बीते दिनों जब द्रंग विधानसभा क्षेत्र के पद्धर उपमंडल के तहत झंटीगरी फूलाधार के पास कृषि विभाग की जमीन को लेकर उपमंडल प्रशासन ने मीरबख्श को अलॉट करने का केस भी अब बना दिया है और इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। हालांकि इस मामले का अब स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह जमीन किसी भी हालत में किसी को भी अलॉट नहीं करने दी जाएगी।
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मीर बख्श भी इस जमीन को लेने से इंकार कर रहा है। याचिकाकर्ता सौ किमी दूर जमीन लेने के लिए राजी नहीं है। वहीं, उसका कहना है कि उन्हें प्रशासन की ओर से जो जमीन झटींगरी में तबादले के रूप में देने की पेशकश है, वो कदापि सही नहीं है, क्योंकि उनकी भूमि की कीमत इस समय करीब 15 लाख रुपये बिस्वा है, जबकि प्रस्तावित भूमि की कीमत मात्र 25 हजार रुपये बिस्वा है।
बता दें कि कोर्ट में केस करने वाले शख्स ने दावा किया गया था कि 1947 के बंटवारे के दौरान उसके अधिकांश पूर्वज यहां से चले गए, मगर कुछ जो रह गए, उनकी अगली पीढिय़ों को पता चला कि नेरचौक मेडिकल कालेज आजकल जहां बना है, वह जमीन उनके पूर्वजों की है। दस्तावेज जुटाने के बाद मीर बख्श पुत्र सुलतान मोहम्मद गांव व डाकघर भंगरोटू ने इस मामले को प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर कर दिया। जानकारी के अनुसार 1947 के बाद सरकार ने इस जमीन को वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया था और बाद में वक्फ बोर्ड से यह जमीन केंद्र के नाम हो गई थी। अब 77 साल बाद मीर बख्श को जमीन मिलने की उम्मीद है।