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Education: सीबीएसई और आईसीएसई पाठ्यक्रम में बच्चे पढेंगे पवन चौहान की रचनाएं

 

हाइलाइट्स

  • कक्षा दूसरी, तीसरी, पांचवीं और छठी में रचनाएं हुई शामिल
  • पाठ्यपुस्तक श्रृंखला ‘अविरल’ में देशभर के विद्यार्थी पढेंगे रचनाएं

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


मंडी। हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर क्षेत्र के युवा साहित्यकार पवन चौहान के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इस बार पवन चौहान की चार और रचनाएं पाठ्यक्रम में शामिल हुई हैं। ये रचनाएं सीबीएसई और आईसीएसई संबद्ध निजी विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सत्र 2024-25 से पढ़ाई जाएंगी। वीवा एडुकेशन की पाठ्यपुस्तक श्रृंखला ‘अविरल’ के अंतर्गत इन्हें देशभर के विद्यार्थी पढेंगे। कक्षा दूसरी में जहां ‘दादा जी का कोट’ कविता शामिल हुई है वहीं कक्षा तीसरी में कविता ‘बड़े हो रहे हो बेटा तुम’ तथा कक्षा पांच में ‘देवीदहड़’ यात्रा वृतांत व कक्षा छठी में ‘काफल’ नामक बाल कहानी विद्यार्थियों को पढ़ाई जाएगी। यह पाठ्यपुस्तकें एन०ई०पी० 2020 तथा एन०सी०एफ० 2023 के मानदंडों के अनुरूप तैयार की गई हैं। इसमें रचना ‘दादा जी का कोट’ में एक नन्हें बालक का अपने दादा को नया कोट लाने का जिक्र है वहीं ‘बड़े हो रहे हो बेटा तुम’ कविता में बड़े हो रहे बालक को सही मार्ग पर चलने की सलाह दी जा रही है। ‘देवीदहड़’ यात्रा वृतांत हिमाचल के इस अनछुए पर्यटन स्थल पर बच्चों को सैर पर ले जाता है। साथ ही, कहानी ‘काफल’ जंगली फल काफल से बच्चों की मुलाक़ात करवाती है।

 

गौरव की बात


इन दोनों पुस्तकों में सुपरिचित साहित्यकारों कबीर, रहीम, वृंद, रवींद्रनाथ ठाकुर, रामनरेश त्रिपाठी, सुभद्रा कुमारी चौहान, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, सोहनलाल द्विवेदी, विष्णु प्रभाकर, मुंशी प्रेमचंद, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, केदारनाथ अग्रवाल, राजा चौरसिया, मार्क ट्वेन, कवि प्रीत, पंकज चतुर्वेदी, सुदर्शन, मधु पंत, राम नरेश त्रिपाठी, अनवारे इस्लाम, दिविक रमेश, त्रिपुरारि, गुरप्रीत शर्मा, शशि प्रकाश द्विवेदी, संगीता गुप्ता आदि की रचनाओं को भी शामिल किया गया है। पवन के अनुसार, जिनकी रचनाकारों को पढ़कर हम बड़े हुए, उनके साथ अपनी रचना का प्रकाशन एक अनमोल खुशी और गौरव महसूस करवा रहा है।

 

अन्य पाठ्यक्रम में रचनाएं


पवन चौहान कविता, कहानी, बाल कहानी, फीचर लेखन में बराबर सक्रीय हैं। पवन की रचनाएं देश की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। हिमाचली बाल साहित्य में इनका कार्य उल्लेखनीय है। इनकी कहानी इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड की पांचवी कक्षा की पुस्तक, महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम की पुस्तक ‘सुगम भारती’ की सातवीं कक्षा, लीड के पाठयक्रम की पांचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘संपूर्ण हिंदी समर्थ’ में कविता ‘सयानी, सी०बी०एस०ई० संबद्ध स्कूली पाठ्यक्रम की सातवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘सरस्वती सरगम’ में यात्रा संस्मरण, कक्षा दूसरी की पाठ्यपुस्तक ‘नव उन्मेष’ में कहानी ‘खिलौनों को लग गई ठंड’ तथा वीवा एडुकेशन की ही सातवीं व आठवीं कक्षा में संवाद ‘श्रेष्ठ भारत’, कहानी ‘घोंसला’ व फीचर ‘छितकुल की यात्रा’ के साथ महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल की बी० कॉम० तथा राष्ट्रसंत तुकाड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के बी०ए० पाठ्यक्रम में यात्रा संस्मरण शामिल किया जा चुका है।

 

जानें पवन चौहान  के बारे में


पवन चौहान हिंदी के प्रवक्ता हैं और वर्तमान में सीसे स्यांजी, मंडी में कार्यरत हैं। पवन की अब तक भिन्न-भिन्न विषयों की आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। यही नहीं, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला से ‘पवन चौहान की बाल कहानियों का आलोचनात्मक विश्लेषण’ विषय पर लघु शोध भी हुआ है। पवन ने वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार पत्र की रविवारीय मैगजीन ‘उमंग’ में ‘टूर’ नाम से पर्यटन पर नियमित स्तंभ भी लिखा है।

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