रोष : सुक्खू सरकार ने विकलांग दिव्यांगजनों को किया अनदेखा, दो साल से बजट में नही की कोई घोषणा: हेमलता पठानिया
हाइलाइट्स
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चुनावी बेला में कुर्सी चारपाई में उठा विकलांग पहुंचाए जाते हैं मतदान केंद्र, बाद में नहीं ली जाती सुध
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चेतावनी, शीघ्र कोई घोषणा नहीं की तो लोकसभा चुनाव में करेंगे मतदान बहिष्कार
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
पधर(मंडी), विशाल भोज। हिमालयन दिव्यांग कल्याण संस्था जिला मंडी ने प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर विकलांगों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की है। साथ ही सरकार को चेताया है कि दिव्यांगजनों के हितों को लेकर शीघ्र कोई घोषणा नही की तो लोकसभा चुनावों में इसका दुष्परिणाम झेलने को तैयार रहे।
हिमालयन दिव्यांग कल्याण संस्था की जिलाध्यक्ष हेमलता पठानिया ने कहा कि पिछले वर्ष फ़रवरी में दिव्यांग कल्याण संघ का राज्य प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिला था। जिस दौरान मुख्यमंत्री ने दिव्यागों को सम्मानजनक पेंशन देने का आश्वासन दिया था। जिससे दिव्यांग अपने परिवारों का बढ़िया पालन पोषण कर सके। लेकिन गत वर्ष ही नही अपितु इस बार के बजट में भी प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों की पूरी तरह अनदेखी की है। जिससे दिव्यांग समाज बहुत आक्रोशित है।उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को बजट में राहत दी गई है। जबकि दिव्यांगों की अनदेखी हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल उठाया कि क्या दिव्यांग प्रदेश और समाज का हिस्सा नहीं है। चुनावी बेला में दिव्यांगों को मतदान के लिए घरों से कुर्सी और चारपाई में उठाकर मतदान केंद्र लाया जाता है।
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मतदान पूर्ण होने बाद कोई सुध नही ली जाती। पूर्व में रही सरकारों के समय में हर बजट में दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाई जाती थी, सुक्खू सरकार ने लगातार पेश किए दो बार के बजट में फूटी कौड़ी तक नही दी है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनी राम शांडिल्य ने भी इस बारे सदन में एक शब्द तक नही कहा है। जिसकी हिमालयन विकलांग कल्याण संस्था पूरी तरह निंदा करती है। हेमलता पठानिया ने कहा कि वह विकलांग और दिव्यांगजनों के हितों को लेकर लगातार संघर्ष करती आई हैं। जिसके सार्थक परिणाम भी आए हैं।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग उठाई कि लोकसभा चुनाव आचार सहिंता से पहले विकलांगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बड़ी घोषणा करे। अन्यथा विकलांग लोकसभा चुनावों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होगी।