मानो या न मानो: सागर में नहीं धरती पर चलती थी व्हेल, सुबाथू में मिले अवशेष
हाइलाइट्स
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तीन प्रोफेसरों की मदद से सुबाथू में मिला था व्हेल का दांत
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सुबाथू पूरे प्रदेश में कई यादों को संजोए हुए है
जाेगेंद्र कुमार
सुबाथू(सोलन)। पहाड़ी क्षेत्र सुबाथू पूरे प्रदेश में कई यादों को संजोए हुए है। शोधकर्ताओं की मानें तो सागर पर राज करने वाली सबसे बड़ी व्हेल मछली करोड़ों वर्ष पहले धरती पर चलकर अपना शिकार करती थी। चंडीगढ़ के प्रोफेसर अशोक साहनी, ऊषा दिक्षित, राजीव शर्मा सहित अल्का गुप्ता ने अपने शोध में सुबाथू की पहाड़ियों में इसके अवशेष ढूंढे है। यह बात भले ही हैरान करने वाली है, लेकिन बरसों पहले इसका जिक्र टीवी में हो चुका है। 20वीं सदी की यादें सुरभी धारावाहिक ने अपने कार्यक्रम की एक सीरिज में सुबाथू की पहाड़ियों में मिले व्हेल मछली के अवशेष पर पूरी जानकारी सांझा की है।
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1994 में पकिस्तान की पहाड़ियों में भी मिले व्हेल के अवशेष
शोधकर्ताओं के अनुसार 1994 में व्हेल मछली के अवशेष पाकिस्तान में गुलजाना की पहाड़ियों में मिले थे। जिसके बाद पहाडी में पत्थरों के आकार की तर्ज पर साहनी व उनकी टीम ने सुबाथू की पहाड़ियों को कई दिनों तक टटोला ओर उनकी मेहनत रंग भी लाई। इन पहाड़ियों में टीम को व्हेल के दांत मिलने की बात सामने आई है।