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Himachal: भांग की खेती का रास्ता साफ़, विधानसभा में सरकारी संकल्प पारित

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भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृड् करने में मदद मिल सकेगी
NDPS एक्ट में भी भांग की खेती पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार
गांजा परंपरागत रूप से पुराने हिमाचल के कुछ हिस्सों में उगाया जाता रहा है

Shimla: उत्तराखंड जैसे राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भांग की खेती लीगल होगी। शुक्रवार को भांग की खेती लीगल करने को लेकर कैबिनेट मंत्री जगत नेगी ने  सदन में नियम 102 के तहत सरकारी संकल्प लाया, जो सर्व सम्मति से पारित हो गया।

इससे भांग की खेती को वैध करने का रास्ता साफ़ हो गया है। इससे पहले सदन में इस पर चर्चा हो चुकी थी। साथ ही तीन राज्यों मध्य प्रदेश ,उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर का दौरा कर भांग की खेती को औषधीय और औद्योगिक रुप में अपनाने की बारीकियां की जानकारी ली गई है।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि पड़ोसी राज्य उतराखंड सहित अन्य राज्यों  में नशा मुक्त भांग की खेती लीगल है। NDPS एक्ट में भी भांग की खेती पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृड् करने में मदद मिल सकती है। लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति ना हो। 

जगत सिंह नेगी ने कहा कि नशा मुक्त भांग की खेती को हिमाचल प्रदेश में लीगल करने से सरकार की आय में भी वृद्धि होगी और और कानून में भी इसका प्रावधान है। सरकार sops के अब हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने की इजाजत देगी। भांग की खेती में नशे की मात्रा 0.3 ही होगी। सरकार पुरा चेक रखेगी की भांग की खेती का नशे में प्रयोग न हो।

भारत में पिछले 40 साल से अधिक समय से भांग की खेती गैरकानूनी है। 1985 में भारत में भांग की खेती को अपराध घोषित किया गया था। भांग की खेती को वैध करने से राज्य को सालाना करोड़ों रुपये आय होने का अनुमान है। प्रदेश में अनुमानित 2400 एकड़ भूमि में भांग की संगठित अवैध खेती हो रही है।

गांजा परंपरागत रूप से पुराने हिमाचल के कुछ हिस्सों में उगाया जाता रहा है, जिसमें शिमला, मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर शामिल हैं। भांग की खेती का इतिहास 12 हज़ार वर्ष पुराना है। भांग का वैसे तो औषधि के रूप में उपयोग की किया जाता रहा है। लेकिन नशे  के रूप में भांग को लेकर हिमाचल के कुछ जिले खासे बदनाम भी हैं। कुल्लू मलाणा जैसे क्षेत्र को तो भांग का हब माना जाता है।

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