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तीन माह बाद स्वर्गलोक से धरतीलोक पर उतरे सृष्टि के रचियता देव बड़ा छमाहूं

 

  • हजारों भक्तों ने अखरोट व पुष्प वर्षा से किया स्वागत, लिया आशीर्वाद
  • पहले 44 हजार रानियों से मिलन करने गए देवता, प्रेम प्रसंग में हुए मदहोश
  • रानियों ने वश में किया देवरथ, सैकड़ों देवलूओं के खींचने पर भी टस से मस

पोस्ट हिमाचल न्यूज

मंदीप पंवार/फरेंद्र ठाकुर, (कुल्लू)। नव संवत को सृष्टि के रचियता देव बड़ा छमाहूं तीन माह बाद देवराज इंद्र की सभा स्वर्ग लोक से धरतीलोक पर उतरे है। यहां लौटते ही देव बड़ा छमाहूं मंगलवार को चवाली माता के प्रेम प्रसंग में मदहोश हो गए। चवाली माता यानि 44 हजार रानियों ने देव बड़ा छमाहूं को अपनी वाहों की कैद में डाल दिया। इस दौरान हजारों लोगों ने देवता के आगमन का स्वागत किया और देवता को सोने चांदी के आभूषणों तथा फूलों से सुसज्जित कर दर्शन किए। सर्वप्रथम मंगलवार को बंजार के कोटला गांव में स्थापित देवता की कोठी से भव्य रथ यात्रा का आयोजन माता चवाली के मंदिर तक हुआ। जिसमे हजारों लोगों ने भाग लिया। बता दें कि देवता बड़ा छमाहूं की 44 हजार रानियां हैं और स्वर्ग लोक से लौटते ही वे सर्वप्रथम अपनी रानियों से मिलने जाते हैं।

रानियों से मिलने का यह दृश्य जहां चमत्कारी, आकर्षक व भाव विभोर करने वाला होता है। वहीं, यह रानियों देवरथ को अपने कब्जे में ले लेती हैं। यह दृश्य मंगलवार को हजारों लोगों की मौजूदगी में हुआ। इस दौरान माता से देव मिलन के बाद जब सैकड़ों लोगों ने देव रथ को वापस लाना चाहा तो देवरथ एक जगह पर स्थिर हो गए। जिससे देवता के देवलूओ में देवरथ को लाने लालसा बढ़ी और देव रथ में रस्सा लगाकर हजारों लोगों ने खींचना शुरू किया। लेकिन, सैकड़ों लोगों के बल से भी देवरथ टस से मस नहीं हुए और एक जगह स्थिर रहे। देव हारियानों ने यह समझ लिया था कि आखिर उनके देवता रानियों के वश में कैद हो चुके हैं। लाख कोशिश करने के बाद भी लोग देव रथ को नहीं खींच पाए और बाद में हारियानों ने उपाय सोचा। देव हारियानों को पता था कि 44 हजार रानियां को जो योगनियों का रूप हैं जुठ लगाने से देवता को छोड़ सकती हैं। हरियानों ने देव रथ में बांधे रस्से में जब जुठ लगाई तो देव रथ एकदम छूट गए और जय घोषों के साथ लोगों ने रथ को खींच कर वापस कोटला गांव पहुंचाया, जहां पर सैंकड़ों महिलाओं व अन्य लोगों ने परंपरागत तरीके से देवता का स्वागत किया और नया सवंत पर्व शुरू हुआ।

नव संवत की दिन हुई सृष्टि की उत्पत्ति


नव सवंत के दिन सृष्टि उत्पन्न हुई थी और देवता बड़ा छमाहूं को सृष्टि का रचियता माना जाता है। बड़ा छमाहूं का अर्थ है छह देवी देवताओं का एक देव। यानि एक रथ में छह देवी-देवता वास करते हैं। जिसमें ब्रह्मा, विष्णू, महेश, आदि शक्ति व शेष नाग समाहित है। यही कारण है कि जिस दिन सृष्टि उत्पन्न हुई थी उसी दिन देव बड़ा छमाहूं भी उत्पन्न होते हैं। आज के दिन हजारों लोग देवता के दर्शन के लिए कोटला गांव पहुंचे थे। इसके बाद कोटला गांव में नव संवत मेला शरू हुआ।

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