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डिपुओं में नहीं बदला दालों का कोटा, सालों से एक ही दालें खिला रहा विभाग

हाइलाइट्स
  • उपभोक्त कम खरीद रहे माश की दाल, कई सालों से मलका व दले चन्ना ही मिल रही डिपो में
  • मूंगी भी मिलती थी लेकिन बाजार मूल्य पर मंहगी होने से वो भी डिपुओं में मिला हुई थी बंद

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी 


शिमला। हिमाचल के 19 लाख राशन उपभोक्ताओं को पिछले कई सालों से खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग एक ही किस्म की दालें खिला रहा है। स्थिति ये हैं कि पिछले करीब 5 सालों से सस्ते राशन के डिपुओं में मिलने वाली दालों को कोटा नहीं बदला है। डिपुओं में आज भी माश यानी माह की काली दाल, मलका और दाल चना दाल उपभोक्ताओं को सस्ती दामों में उपलब्ध करवाई जा रही है। डिपुओं में कुछ माह पहले मूंग दाल भी मिलती थी लेकिन बाजार मूल्य पर दालें मंहगी होने के बाद डिपुओं में ये दाल मिलना भी बंद गई और इसके स्थान पर दाल चना 2 किलो प्रति कार्ड कर दिया गया। वहीं डिपुओं में मिलनी वाली दालों से उपभोक्ताओं को अब मन उभ भी चुका है। शिमला सहित प्रदेश के डिपो संचालकों से मिली जानकारी के अनुसार अब डिपुओं में दालों को लेने से परहेज कर रहे हैं। राशन उपभोक्ता दली चना व मलका की दाल तो फिर भी खरीद लेते हैं। लेकिन प्रदेश में करीब 40 प्रतिशत उपभोक्ता माश लेने से मना करते हैं। जिससे डिपुओं में माश की दाल कोटा बना रहता है जबकि अन्य दालों की बिक जाती है।

कभी डिपुओं में राजमाह,काला चन्ना व काबूली चना भी मिलता था


सस्ते राशन के डिपुओं में करीब 6 से 7 साल पहले राजमाह, काला चन्ना और काबूली चन्ना भी दिया जाता था। लेकिन इन दालों को देना बंद कर दिया है और सिर्फ माश, दाल चना और मलका ही दिए जाने लगे। हांलकि बीते वर्ष खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने दालों को बदलने के लिए एक प्रस्ताव भी तैयार किया था और इसके लिए लोगों की राय भी मांग थी कि डिपुओं में कौन सी दालें मिलनी चाहिए लेकिन ये प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ पाया।

बदलना चाहिए दालों को कोटा


डिपो संचालकों सहित राशन उपभोक्ताओं का कहना है कि अब डिपुओं में दालों का कोटा बदलना चाहिए। सरकार व विभाग को डिपुओं में मिलने वाली दालें बदलनी चाहिए। उपभोक्ताओं का कहना है कि माश के स्थान पर सरकार उपभोक्ताओं को मूंग, या फिर रौंगी की दाल भी दे सकती है। इसके अतिरिक्त पहले की तरह काला चना, राजमाह और काबूली चना भी देने पर सरकार व विभाग का विचार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त दालों को बदलने को लेकर विभाग डिपो संचालकों के माध्यम से उपभोक्ताओं की राय भी ले सकती है।

दालों के कोटे को बदलने पर विचार विमर्श करें विभाग: समीति
उधर डिपुओं में दालों के कोटे बदलने को लेकर भी डिपो संचालक समीति का भी यही विचार है। डिपो संचालक समीति के अध्यक्ष अशोक कवि का कहना है कि दालों के कोटे को बदलने को लेकर विभाग को विचार करना चाहिए और दालें बदलनी चाहिए। प्रदेश के कई डिपुओं में माश दाल की खपत कम हो गई है लोग माश की दाल कम खरीद रहे हैं क्योंकि ये दाल लंबे समय से मिल रही है।

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