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हिमाचल में एनएचएआई के लापरवाह अधिकारियों पर होगी कड़ी कार्रवाई: हाईकोर्ट

हाइलाइट्स

  • मानसून से पहले नुकसान को रोकने के लिए एहतियातन कदम न उठाने पर जताई नाराजगी
  • ब्‍यास के तल के बीच से बड़ी चट्टानों और पत्थरों को अभी तक नहीं हटाया गया
  • एनएचएआई की इस निष्क्रियता के कारण कोई अप्रिय घटना होती है तो एनएचएआई के अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला। मानसून में पानी का बहाव बढ़ने से तबाही की आशंका वाले स्‍थानों पर एनएचआई की ओर से निर्देशों के बावजूए एहतियाती कदम न उठाने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा है कि समय रहते राजमार्गों सहित जंगलों, नदियों और नालों का उचित रखरखाव नहीं किया गया है। ब्‍यास के तल के बीच से बड़ी चट्टानों और पत्थरों को अभी तक नहीं हटाया गया है। इन पत्थरों से पानी के टकराने से बहाव नदी तट तक आ जाता है और सड़कों की तबाही का कारण यह पत्‍थर बनते हैं।

जंगलों में फैंके गए मलबे से भूमि कटाव होता है और नदियों-नालों का बहाव रुक जाता है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। कोर्ट ने मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि एनएचएआई का यह कहना कि मानसून सीजन के दौरान नदी से बड़े पत्थरों और चट्टानों को नहीं हटाया जा सकता है,कतेई स्‍वीकार्य नहीं है। एनएचएआई के पास जून का पूरा महीना था। उस वक्‍त मानून नहीं था। एनएचएआई उस अवधि में यह काम कर सकती थी। एनएचएआई ने इस दौरान कुछ भी नहीं किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एनएचएआई की इस निष्क्रियता के कारण कोई अप्रिय घटना होती है तो एनएचएआई के अधिकारियों के खिलाफ उचित निर्देश जारी किया जाएगा। मामले पर सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है।

  • यह है मामला

    इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 12 जून को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे, ताकि नागरिकों को भोजन व ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति बनाई रखी जा सके। एनएचएआई को भी आदेश दिए थे कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े-बड़े पत्‍थरों और बड़ी चट्टानों को हटाए। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले वर्ष हुई भरी बरसात के कारण सैंकड़ों सड़कें तबाह हो गई थीं। हाईकोर्ट ने पहले भी कहा था कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है। आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है, जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है।

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