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Political Review: मोदी पर विश्‍वास जताकर हाथ को भी मजूबत कर गई हिमाचल की जनता

 

हाइलाइट्स

  • राजनैतिक दलों की रणनीति को दरकिनार करते हुए इन चुनावों में असली विनर जनता रही
  • लोकसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार खाता नहीं खोल पाई कांग्रेस
  • उपचुनाव में सुखविंद्र सुक्‍खू के नेतृत्‍व में छह में चार सीटें जीताकर सरकार को दी संजीवनी

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


लोकसभा चुनावों में हिमाचल की जनता मोदी पर विश्‍वास जिताकर उपचुनावों में हाथ को भी मजूबत कर गई। दोनों राजनैतिक दलों की रणनीति को दरकिनार करते हुए इन चुनावों में असली विनर जनता ही बनकर उभरी। लोकसभा चुनावों में एक बार फ‍िर से कांग्रेस का खाता खाली रहा है। इस बड़ी जीत से भाजपा भले ही अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन जनता ने उनके सत्‍ता में आने के तरीके को बुरी तरह से नकारते हुए उपचुनाव में कांग्रेस को मजबूत करके कड़ा संदेश दिया है। सुखविंद्र सुक्‍खू के नेतृत्‍व में उपचुनावों की छह में चार सीटें जीतकर सरकार को संजीवनी देने के साथ साथ सत्‍ता के नशे लोकसभा में जीत का दावा करने वाली कांग्रेस को एक बड़ी हार देकर जनता ने जमीन पर रहने की कड़ी हिदायत भी जारी कर दी है।

क्‍या थी भाजपा  और कांग्रेस  की रणनीति
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  • भाजपा के छलतंत्र को जमीन दिखा

  • तीन निर्दलियों को टिकट देने का जोखिम उठाएगी भाजपा

  • छल की राजनीति में कांग्रेस का नहीं बल्कि सच्‍चाई का साथ

भाजपा में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही भाजपा ने सरकार पर दवाब बनाकर इसे गिराने का प्रयास शुरू कर दिया था। लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने बगावत कर छह विधायकों को तोड़कर साथ में तीन निर्दलीय विधायकों का सहारा लेकर सदन में बराबर का आंकड़ा पेश करने की योजना बनाई। राज्‍य सभा में जीत के बाद अति उत्‍साहित भाजपा ने निर्दलियों से भी इस्‍तीफा दिलवाकर नौ सीटों पर उपचुनावों की योजना पर काम किया। भाजपा का मानना था कि लोकसभा में मोदी की लहर में उनके विधायक भी जीत जाएंगे। लेकिन जनता ने मोदी के नाम पर वोट तो दिया लेकिन प्रदेश में भाजपा के छलतंत्र को जमीन दिखा दी। अब भाजपा को अपनी रणनीति पर फ‍िर से विचार करना होगा कि क्‍या तीन निर्दलियों को टिकट देकर एक बार फ‍िर से वो पार्टी कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने का जोखिम ले पाएगी।

कांग्रेस को भी जनता ने एक बड़ा सबक देते हुए लोकसभा में बड़ी हार के साथ साथ उपचुनावों में धर्मशाला और बड़सर दो सीटों पर हार भी दे दी है। कांग्रेस हवा में थी। सोचती थी कि भाजपा के आपरेशन लोटस(छह विधायकों को तोड़ने) से हुए नुकसान को सिंपथी के रूप में इस्‍तेमाल करेगी। इसी का जाल वोटरों को फंसाने के लिए फैंकेगी। वहीं लोकसभा में भी सत्‍तारूढ़ होने का फायदा मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक ही पोलिंग बूथ में अलग-अलग बटन दबाकर जनता ने दिखा दिया कि उन्‍होंने कांग्रेस का नहीं बल्कि सच्‍चाई का साथ जनता ने बता मोदी का साथ दिया वहीं, छल की राजनीति में कांग्रेस का नहीं बल्कि सच्‍चाई का साथ दिया है।

 


हिमाचल में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है, लेकिन विधानसभा उप-चुनाव में 6 में से 4 सीटें जीतकर सीएम सुक्खू सरकार को बचाने में कामयाब रहे हैं। इससे राज्यसभा चुनाव में सरकार पर आया सियासी संकट अब टल गया है। इसी के साथ हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 34 से बढ़कर 38 हो गई है, जो कि मौजूदा विधानसभा में 65 विधायकों के हिसाब से बहुमत से 5 ज्यादा है। वहीं, इस हार के बाद 4 जून को प्रदेश में सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा को भी करारा झटका लगा है। बीजेपी केवल धर्मशाला और बड़सर में ही जीत दर्ज कर पाई है। धर्मशाला में दिग्गज नेता सुधीर शर्मा और बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल चुनाव जीते हैं। दोनों कांग्रेस सरकार से भी चार-चार बार विधायक रह चुके हैं।

 

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