मां की उम्मीदों पर निशाद ने रचा इतिहास, देश को झोली में डाला रजत
ढाई लाख रुपये कर्ज लेकर मां ने अंतर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए निशा को भेजा था दुबई
Post Himachal, Una
एथलीट निषाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को रजत पदक दिलाकर मां की उम्मीदों पर इतिहास रचा है। बचपन में घास की मशीन में हाथ कट जाने के बाद मां उसके लिए प्रेरणा बनी, निशाद की मनोस्थिति को डगमगाने नहीं दिया और आज ऊना के होनहार निशाद ने इतिहास रचा दिया है।
बता दें कि ऊंची कूद में 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत जीता। निषाद ने टोक्यो में भी 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत पदक जीता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी निशाद कुमार को पदक जीतने पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने भी बधाई दी है।
आज के संस्करण में अमर उजाला ने संवाद न्यूज एजेंसी के माध्यम से लिखा है कि स्टेरी कवर की है। जिसमें लिखा है कि …. मेरी चिंता मत करो। इतना पैसा कमाऊंगा कि सोचोगी कि रखूं कहां। जब निषाद आठ साल के थे। उस समय घर में मां मवेशियों के लिए चारा काट रही थीं। बेटा वहां आया और मशीन में चारा डालने लगा। इस दौरान मशीन में हाथ आने के कारण कट गया। इस घटना का जिक्र करते हुए निषाद की मां पुष्पा देवी ने बताया कि घटना के बाद यह सोचकर परेशान हो जाता थी कि इसका गुजारा कैसे होगा। अपने जीते जी तो इस पर कोई आंच नहीं आने देंगे, लेकिन हमारे बाद बेटे का क्या होगा। इस पर एक बार निषाद ने कहा था कि मां मेरी चिंता मत करो। इतना पैसा कमाऊंगा कि सोचोगी कि पैसा कहां रखूं। बेटे ने अपनी मेहनत से वो कर दिखाया। जब पहली बार बेटे को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए दुबई जाना था तो ढाई लाख रुपये कर्ज लिया। स्थानीय लोगों की सहायता से उसे दुबई भेजा था।