जोगेंद्रनगर मेले में मंहगाई की मार, कारोबारी बोले फीका रहा कारोबार
हाइलाइट्स
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राज्य स्तरीय जोगेंद्रनगर देवता मेले की नीलामी प्रथा से कारोबारियों को इस बार भी उठाना पड़ा नुकसान
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70 हजार से एक लाख रूपये में बिकी दुकानें, मंहगाई की मार से ग्राहकों ने भी खरीददारी को लेकर नहीं दिखाया उत्साह
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
जोगेंद्रनगर (मंडी), राजेश शर्मा। लघु शिवरात्री के नाम से प्रसिद्ध राज्य स्तरीय जोगेंद्रनगर देवता मेले में प्लाट आबंटन के लिए नीलामी प्रथा कारोबारियों के लिए इस साल भी नुकसादायक साबित हुई है। 70 हजार से एक लाख रूपये खर्च कर मेले में कारोबार के लिए विभिन्न जिलों और राज्यों से पहुंचे कारोबारियों को मुनाफा कमाना तो दूर खर्चा करना भी पांच दिवसीय मेलों में चुनौती बना रहा। मेला मैदान में दुकानंे भी पिछले साल की तुलना में कम सजी।
ऐसे में खरीददारी को लेकर लोगों में भी अधिक उत्साह देखने को नहीं मिला। मेला स्थल में महिलाओं ने घर की साज सजावट के लिए परदे, चादरों के अलावा अन्य साजो सामान की खरीददारी में मंहगाई की मार भी ग्राहकों पर पड़ी है। मेले में लगी खान पान की दुकानाें में भी भीड़ देखने को मिली। लेकिन यहां पर भी दाम दस से बीस प्रतिशत तक अधिक चुकाने पड़े। मंडी की प्रसिद्ध कचौरी, दहीं भल्ला के अलावा कुल्लू के सिड्डू ग्राहकों की पंसद बने रहे। लेकिन एक सिड्डू के लिए सौ रूपये के दाम भी ग्राहकों से बसूले गए। हालांकि मेला मैदान में सजे वाटर पू्रफ डोम में ग्राहकों का जनसैलाब देखने को खूब मिला।
पुलिस थाना चौक से विश्राम गृह और मिनी सचिवालय परिसर के इर्द गिर्द सजी दुकानों में भी ग्राहकों की रौनक तीन दिन बाद दिखी। इससे पहले खराब मौसम के चलते मेला मैदान में ग्राहकों की आमद कम थी। इससे कारोबारी भी आमदनी के लिए चिंतित दिख रहे थे। शुक्रवार को सुबह 11 बजे से तीन बजे से तीन बजे तक शहर भर में सजी दुकानों में खरीददारी को लेकर ग्राहकों की अधिक भीड़ नहीं दिखी। देर शाम भीड़ उमड़ी तो कारोबार फिर भी बढ़ नहीं सका। मेला व्यापारी जगदीश, सुनील, ने बताया कि इस बार प्लाटों की खरीद के लिए भी उन्हें दस से बीस प्रतिशत तक बढ़ोतरी के साथ पैसे जमा करवाने पड़े। बताया कि 70 हजार से एक लाख रूपये तक में भी दुकानें बिकी। इससे करने को लेकर भी मुश्किलें झेलनी पड़ी।
झूलों के लिए सौ रूपये तक भी चुकाना पड़ा शुल्क
देवता मेला जोगेंद्रनगर में छोटे बच्चों के मंनोरंजन के लिए लगे झूलों में भी मंनोरंजन को लेकर 70 से लेकर सौ रूपये तक का शुल्क चुकाना पड़ा। यहां पर मिक्की माउस, किस्ती, रेलगाड़ी के अलावा किस्ती आदि के झूलों में खूब रौनक लगी रही। छोटे बच्चों के कुछ झूलों 30, 50 और बड़े झूलों के लिए 70 से सौ रूपये का शुल्क भी बसूला गया। मेला समिति के अध्यक्ष व एसडीएम मनीश चौधरी ने बताया कि मेले में विभिन्न व्यवसाय का कारोबार कर रहे कारोबारियों के अच्छे कारोबार की कामना प्रशासन ने की है। बताया कि अभी कुछ और दिन मेले में ग्राहकों की रौनक देखने को मिलेगी। बताया कि संपर्क सड़कों में प्रशासन ने अपने स्तर पर सस्ते दामों में दुकानें उपलब्ध करवाई है।
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