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HRTC: चालकों-परिचालकों को राहत, आठ घंटे की ड्यूटी के बाद घर जाना हो रहा नसीब, निगम के बचेंगे 12 करोड़

हाइलाइट्स

  • घाटे को कम करने और आय बढ़ाने के लिए निगम नए-नए प्रयास कर रहा

  • ओवरटाइम में 50 प्रतिशत की कमी, सालाना होगी 12 करोड़ की बचत

  • निगम ने ओवरटाइम के साथ बसों की डैड माइलेज भी कम की है

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला। एचआरटीसी के घाटे को कम करने और आय बढ़ाने के लिए निगम नए-नए प्रयास कर रहा है और ये प्रयास सफल भी हो रहे हैं। निगम ने चालक-परिचालकों द्वारा किए जाने वाले ओवरटाइम में 50 प्रतिशत की कमी लाई है। इससे जहां चालक-परिचालकों को अधिक समय ड्यूटी भी नहीं करनी पड़ रही और वे अपनी 8 घंटे की ड्यूटी पूरी कर अपने घर पर समय पर जा रहे हैं। वहीं इससे निगम की आय भी बढ़ रही है।

निगम ओवरटाइम के घंटों में 50 प्रतिशत की कमी लाकर सालाना 12 करोड़ रुपए की बचत भी करेगा। वहीं निगम ने ओवरटाइम के साथ बसों की डैड माइलेज भी कम की है। इससे भी निगम की करोड़ों रुपए की बचत होगी और निगम की आय बढ़ेगी। इससे निगम के करीब 12000 कर्मचारियों व उनके परिवारों को राहत मिलेगी। वहीं निगम कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल सकेगा और उनके लंबित भुगतान भी समय से हो सकेंगे। निगम के अनुसार माह मई 2023 में चालकों के कुल 34499 घंटे ओवरटाइम के बने जबकि जनवरी, 2024 में यह घटकर 18243 रह गए। इसी तरह मई, 2023 में परिचालकों के कुल 21241 घंटे ओवरटाइम के बने, जबकि जनवरी 2024 में ये घटकर 10344 रह गए। बेहतर प्रबंधन से ओवरटाइम में लगभग 12 करोड़ रुपए सालाना बचत होगी।

 

बसों की डैड माइलेज में कमी, सालाना 2.5 करोड़ हानि कम


निगम ने जहां ओवरटाइम में कमी कर निगम की आय को बढ़ाया है, वहीं बसों के डैड माइलेज में कमी लाकर भी आय बढ़ेगी। निगम द्वारा जो बसें खाली इधर-उधर जाती थीं एवं इनका खर्चा डैड माइलेज के रूप में आता था, जिसे निगम ने बंद किया है। यह डैड माइलेज जनवरी 2023 में 304382 थी जो जनवरी 2024 में घटकर 220078 रह गई। इसी प्रकार डैड माइलेज जो कि फरवरी 2023 में 289319 थी, वह फरवरी 2024 में घटकर 224436 रह गई। प्रत्येक माह लगभग 25 प्रतिशत डैड माइलेज कम हुई एवं इससे परिवहन निगम की लगभग 2.5 करोड़ सालाना हानि कम हुई है।

घाटे को कम करने के लिए निगम के प्रयास हुए सफल


एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि एचआरटीसी के घाटे को कम करने के लिए निगम नए-नए कदम उठा रहा है और ये कदम सफल भी साबित हो रहे हैं। निगम ने चालक-परिचालकों के ओवरटाइम के घंटों में 50 प्रतिशत की कमी की है। इससे निगम को सालाना 12 करोड़ रुपए की बचत होगी। वहीं डैड माइलेज में 25 प्रतिशत की कमी हुई है, जिससे वार्षिक 2.5 करोड़ रुपए की हानि कम होगी।

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