स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे: शूगर नहीं फिर भी खानी पड़ी दवा, तबीयत बिगड़ी तो पता चला किसी और की रिपोर्ट पर चल रहा इलाज
Highlights
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कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित सिविल अस्पताल चौंका देने वाला मामला
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लैब पर सवाल उठाते हुए अस्पताल प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया
Post Himachal, Palampur
सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं। कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित सिविल अस्पताल चौंका देने वाला मामला सामने आया है। प्रयोगशाला से अन्य व्यक्ति की जांच रिपोर्ट थमाने के कारण एक महिला को बिना शूगर के पांच दिनों तक दवाई खाने को मजबूर होना पड़ा है। पांच दिन तक दवाई खाने के बाद महिला की तबियत बिगड़ी और चिकित्सक को दिखाया। आनन फानन में लैब से मिली अन्य व्यक्ति की रिपोर्ट को चिकित्सक भी नहीं पढ़ पाया। लेकिन जब महिला दोबारा चिकित्सक के समक्ष उपचार लेने पहुंची तो चिकित्सक ने पाया कि उक्त जांच रिपोर्ट 62 वर्षीय मरीज सुभाष चंद की है, जिनका शुगर लेबल 300 से अधिक बढ़ा था। इसके बाद पीड़ित महिला क्रश्ना लैब गई और शिकायत की, वहां नर्स ने आनन-फानन में पुरानी रिपोर्ट कचरा डिब्बा में डाली और महिला की असली रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। इसमें महिला का शुगर स्तर सामान्य था।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पाहड़ा बोधल की महिला सुमना देवी उपचार के लिए सिविल अस्पताल आई और उसे चिकित्सक ने कुछ जांच रिपोर्ट अस्पताल लैब से लाने को कहा। उन्होंने सरकार की ओर से अधिकृत क्रश्ना लैब में 16 जुलाई को सैंपल दिए। रिपोर्ट मिलने पर महिला को चिकित्सक ने शुगर लेवल अधिक होने पर एक सप्ताह की दवाई दें दी। लेकिन पांच दिन तक दवाई खाने के बाद महिला की तबियत बिगड़ी और चिकित्सक को दिखाया। आनन फानन में लैब से मिली अन्य व्यक्ति की रिपोर्ट को चिकित्सक भी नहीं पढ़ पाया। लेकिन जब महिला दोबारा चिकित्सक के समक्ष उपचार लेने पहुंची तो चिकित्सक ने पाया कि उक्त जांच रिपोर्ट 62 वर्षीय मरीज सुभाष चंद की है, जिनका शुगर लेबल 300 से अधिक बढ़ा था। इसके बाद पीड़ित महिला क्रश्ना लैब गई और शिकायत की, वहां नर्स ने आनन-फानन में पुरानी रिपोर्ट कचरा डिब्बा में डाली और महिला की असली रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। इसमें महिला का शुगर स्तर सामान्य था। उन्होंने अस्पताल प्रशासन सहित सरकार से इसपर कार्रवाई की मांग की है। दूसरी और अस्पताल के मरीजों ने इस लैब पर सवाल उठाते हुए अस्पताल प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया। वहीं, एक जैसे टेस्ट के लिए अस्पताल लैब और निःशुल्क सुविधा वाली अधिकृत लैब में अलग-अलग रक्त नमूने देने पर आपत्ति जताई है।