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Exclusive Report: हिमाचल में एमआई हेलीकॉप्टर से काबू होगी जंगलों की आग

हाइलाइट्स

  • बड़ी घटना पर हेलीकाप्‍टर से IAF चलाएगा रेस्कयू आपरेशन
  • मई माह में पारा चरम पर, दहक रहे पहाड़ों में जंगल
  • फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की मॉनिटरिंग के बाद तैयारियां शुरू

राजेश शर्मा


जोगेंद्रनगर(मंडी)। हिमाचल प्रदेश में लगातार दहक रहे जंगलों को आग से सुरक्षित बचाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली जाएगी।आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून ने मॉनिटरिंग के बाद यह तैयारियां भी शुरू कर दी है।
बता दें कि मई माह में तापमान चरम पर है। प्रचंड गर्मी पड़ रही है। प्रदेश के साथ मुख्य जिलों में आ जंगलों को आग से बचाने के लिए एक और जहां काउंटर फायर वन विभाग के द्वारा किया जा रहा है। वहीं कंट्रोल वर्निंग और फायर लाईन खींचकर भी जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने सैंकड़ों वालंटियर कोफिल्ड पर तैनात किया गया है। लेकिन बड़ी आग को काबू पाना कठिन है।

कैसे मदद करते हैं हेलिकॉप्टर?


पहाड़ी राज्‍यों जैसे हिमाचल के लिए वायु सेना के पास इस काम के लिए खासकर तौर पर दो एमआई हेलिकॉप्टर हैं। आकार-प्रकार में एमआई हेलिकॉप्टर सबसे बड़े होते हैं। वो बड़े पैमाने पर भारी सामानों को ढोने का काम भी करने में सक्षम होते हैं।

कितना पानी साथ ले जा सकते हैं


आग बुझाने वाले एमआई-17वी एम हेलिकॉप्टर में पानी स्प्रे करने का उपकरण लगा होता है। साथ ही इसमें एक बांबी बकेट होती है। इस बकेट की क्षमता 5000 लीटर टैंक की बताई गई है। पिछले कुछ दशकों में जंगलों की या भारी आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर काफी मददगार साबित होते रहे हैं। आग का फैलाव रोकने में भी इनकी भूमिका रही है।यही नहीं, बल्कि जंगल की आग के मामले में हेलिकॉप्टर टीमों और उपकरणों को भी मौके तक पहुंचाने में मददगार होते हैं। आग आगे न फैले, इसके लिए बचाव कार्य में सबसे ज़्यादा उपयोगी इन्हें ही माना जाता है। आग के सिरों पर ये ​हेलिकॉप्टर पानी की बौछार करते हुए आग को आगे बढ़ने से रोकते हैं।

बंबी बाल्टी क्या होती जिससे हेलिकॉप्टर पानी गिराते हैं


बंबी बकेट एक विशेष हवाई अग्निशमन उपकरण है। जिसका उपयोग 1980 के दशक से किया जा रहा है।यह मूलतौर पर हल्का खुलने योग्य कंटेनर है जो हेलीकॉप्टर के नीचे से लक्षित क्षेत्रों में पानी छोड़ता है। पायलट-नियंत्रित वाल्व का उपयोग करके पानी गिराया जाता है। इसकी खास विशेषता ये है कि इसे जल्दी और आसानी से भरा जा सकता है. बाल्टी को झीलों और स्विमिंग पूल सहित विभिन्न स्रोतों से भरा जा सकता है, जो अग्निशामकों को इसे तेजी से भरने और लक्ष्य क्षेत्र में लौटने की अनुमति देता है। बांबी बाल्टी विभिन्न आकारों और मॉडलों में उपलब्ध है, जिसकी क्षमता 270 लीटर से लेकर 9,840 लीटर से अधिक होती है।

सात जिलों के जंगल आग की गिरफ्त में


हिमाचल के सात जिलों के जंगल आग की गिरफ्त में है। पचास लाख से अधिक की वन संपदा को नुकसान पहुंच चुका है। धर्मशाला, हमीरपुर और मंडी जिला आग की घटनाएं ज्‍यादा बढ़ रही हैं। इसके अलावा शिमला, सोलन, चंबा, बिलासपुर, रामपुर यहां पर भी जंगल दहक रहे हैं। लाखों जीव जंतु जलकर राख हो चुके हैं। प्‍लांटेशन भी खाक हो चुकी है।

मंडी पठानकोट हाईवे से सटे जंगलों को आग से बचाने के लिए दमकल विभाग का सहयोग लिया जा रहा है। गर्मी के मौसम में अगर आग की कोई भी बड़ी घटना जंगलों में घटती है तो इस पर काबू पाने के लिए हैलीकॉप्टर से भी रैस्कयू ऑप्रेशन चलाने के लिए वन विभाग तैयार है।

कमल भारती, वन मंडलाधिकारी जोगेंद्रनगर

 

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