संपादकीय: गठबंधन में अब नया मोदी बनकर निकालनी होगी भाजपा के भविष्य की राह
हाइलाइट्स
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पहली बार एनडीए के छोटे दलों पर निर्भर होकर सरकार चलाएंगे मोदी
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मोदी के बहुमत को विपक्ष के जोश ने किया कम अब गठबंधन में दूसरों का दृष्टिकोण अपनाना होगा
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इस सप्ताह के अंत में नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने की संभावना
अखिलेश महाजन
नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। चुनावी नतीजों में उनके बहुमत को विपक्ष के नए जोश ने कम किया है। अब मोदी को मिली जुली सरकार से काम चलाना होगा। गठबंधन में दूसरों का दृष्टिकोण अपनाना होगा। पहली बार एनडीए के छोटे दलों पर निर्भर होकर सरकार चलाने वाली नरेंद्र मोदी के लिए यह इतना आसान नहीं होगा। नया मोदी बनकर उन्हें तीसरी पारी में भाजपा के भविष्य की राह आसान बनानी होगी।
बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ बैठक के बाद मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने पर मुहर लग चुकी है। संसदीय बहुमत तक पहुंचने के लिए 73 वर्षीय मोदी को एनडीए के छोटे दलों पर निर्भर होना होगा। भाजपा तीसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए आवश्यक 272 सीटों से पीछे रह गई थी। वहीं, एनडीए की 293 सीटों के मुकाबले 232 सीटें जीतने वाला विपक्ष इंडिया गठबंधन ने हार नहीं मानी है। केंद्र पर काबिज होने के क्या पैंतरे हो सकते हैं, इसपर काम विपक्ष काम कर रहा है। राजधानी दिल्ली में बैठकों का दौर चला हुआ है। दूसरी और एनडीए के समर्थन के बाद इस सप्ताह के अंत में नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने की संभावना है।
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मोदी का मैजिक कम हुआ:नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2024 के चुनावों के बाद 240 सीटें जीतीं। लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गईं।लेकिन प्रधानमंत्री के लिए यह संख्या 2019 से काफी कम है। साफ है कि मोदी का मैजिक कम हो गया है। हालांकि मोदी फैक्टर जरूर है। यही कारण है कि भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में 303 सीटें जीती और इस बार एनडीए ने 400 प्लस का नारा दिया। अकेले भाजपा ने इस बार 370 सीटों का लक्ष्य रखा। लेकिन सौ सीटें उम्मीदों से कम आई। अकेले यूपी और महाराष्ट्र ने ही मोदी और भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब तीसरे कार्यकाल को सुरक्षित करने के लिए मोदी को एनडीए भागीदारों का अासरा है।
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सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना, यह देखना बाकी: एनडीए की एक विज्ञप्ति के अनुसार दिल्ली स्थित पीएम आवास पर बैठक में सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना है। एनडीए भारत के गरीबों, महिलाओं, युवाओं, किसानों और शोषित, वंचित और उत्पीड़ित नागरिकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके भागीदारों ने भाजपा से क्या रियायतें हासिल की हैं, यह देखना अभी बाकी है। बैठक से पहले, ऐसी अटकलें थीं कि अधिक शक्तिशाली समूहों की मांगों में उनके समर्थन के बदले में मंत्री पद शामिल हो सकते हैं।
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विपक्ष का जश्न लाजमी: विपक्षी भारत गठबंधन जीत न पाने के बावजूद परिणामों का जश्न मना रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भारत गठबंधन को मिले भारी समर्थ की सराहना करते नहीं थक रहे। उनके अनुसार मतदाताओं ने भाजपा की घृणा, भ्रष्टाचार और अभाव की राजनीत के खिलाफ एक संदेश दिया है। यह भारत के संविधान की रक्षा और मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी औरपूंजीवाद के खिलाफ और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक जनादेश है।