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Blog: सुसाइड किसी बात का स्थायी समाधान हो ही नहीं सकता!

Suicide

“स्वयं को मारना” जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर ‘निराशा’ के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद,शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन जैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है ! तनाव में जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अकसर एक भूमिका होती है। कुछ लोग अपनी निजी समस्याओं के चलते इतने परेशान हो जाते हैं कि उनके मन में आत्महत्या करने के ख्याल आने लगते हैं। आत्महत्या के ख्याल आने पर जरूरी है कि  खुद को संभालें और इस नकारात्मक विचार से खुद को दूर करने की भरपूर कोशिश करें। युवाओं में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।आत्महत्या के ख्याल आना दोष नहीं है और इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप पागल हैं, या कमजोर हैं। इसका केवल यह अर्थ है कि आप ज्यादा दर्द में हैं। हो सकता है आपको लग रहा हो कि ये दर्द आपके साथ हमेशा रहेगा लेकिन, समय और समर्थन के साथ, अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं और दर्द और आत्महत्या की भावनाओं से खुद को पार ले जाएंगे…………..

आत्महत्या के विचार आने पर क्या करना चाहिए?


  • चाहें कितना भी दर्द महसूस कर रहे हों, आप अकेले नहीं हैं। दर्द का इलाज किया जा सकता है और आशा को एक नई दिशा दी जा सकती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी स्थिति क्या है। दुनिया में ऐसे लोग हैं जिन्हें आपकी जरूरत है, ऐसी जगहें जहां आप अच्छा महसूस कर सकते हैं। आपके साथ जरूर कुछ ऐसे यादगार अनुभव होंगे, जो आपको याद दिला सकते हैं कि जीवन कितना अच्छा है।
  • मौत का सामना करने के लिए असली हिम्मत चाहिए। अपनी इसी हिम्मत और साहस का उपयोग जीवन की कठनाइयों का सामना करने के लिए कीजिए। अवसाद पर काबू पाने और अपने कौशल को जानने के लिए कीजिए।
  • हमेशा याद रखिए भावनाएं निश्चित नहीं हैं, वे लगातार बदलती रहती हैं।  आज जैसा महसूस कर रहे हैं, वैसा कल महसूस नहीं किया था कल या अगले सप्ताह आपको कुछ और महसूस हो रहा होगा। इसलिए अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।
  • आपकी अनुपस्थिति मित्रों और प्रियजनों के जीवन में दुख और पीड़ा पैदा करती है। जब भी दिमाग पर नकारात्मक बातें हावी हो और आपको लगे कि आपका जीवन व्यर्थ है तो आप यह सोचें कि कितने लोग हैं जिन्हें आपसे लगाव हैं। उनकी जिंदगी में आपके न होने से कितना दुख होगा।
  • कई चीजें हैं, जो आप अभी भी अपने जीवन में पूरा कर सकते हैं। कभी भी ऐसा लगे कि आपके पास जीवन में करने के लिए कुछ नहीं है तो यह सोचें कि जिन चीजों को आप करना चाहते थे। छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढें। हर वो काम करें जिससे आपको खुशी मिले।
  • जीवन में ढेर सारी जगहें, अनुभव हैं, जो आपको खुश करने की क्षमता रखते हैं। आपको इन चीजों से खुद को जोड़े रखना होगा। जब भी दिमाग में नकारात्मकता हावी हो तो उन सभी पलों के बारे में सोचें जिनमें आपको खुशी मिली हो।
  • आत्महत्या करना एक अपराध माना जाता हैं, इसका ख्याल आना एक दोष नहीं हैं। यह एक तरह की मानसिक समस्या है, क्योंकि इस टाइम आप दर्द में होते हैं। आप यह न समझें कि यह दर्द कभी खत्म नहीं हो सकता, इस समस्या से निकलने के लिए हमेशा अपने घरवालों के साथ रहें और ज्यादा से ज्यादा समय उन्हीं के साथ बिताएं। ऐसा करना आपको मानसिक तनाव से भी दूर रखता है।
  • कई तरह के भावनात्मक दर्द आत्महत्या के विचारों को जन्म दे सकते हैं। हर व्यक्ति के लिए आत्महत्या के विचार आने के पीछे अलग-अलग कारण हो सकते हैं। इनसे निपटने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है।  युवाओं में किसी से रिलेशनशिप टूटने के चलते, जॉब की परेशानियों के चलते या अन्य किसी निजी कारणों की वजह से सुइसाइड के विचार आने लगते हैं। इसके अलावा, सेहत या पैसों की समस्या के चलते भी सुइसाइड कर लेते हैं।

 

आत्महत्या क्यों एकमात्र विकल्प की तरह लग सकता है?


 

  • अभी जो गहन भावनात्मक पीड़ा आप अनुभव कर रहे हैं, वह आपकी सोच को विकृत कर सकती है। इसलिए, समस्याओं के संभावित समाधान को समझ पाना कठिन हो जाता है। चिकित्सक, परामर्शदाता, मित्र या प्रियजन आपकी समस्या का समाधान करने में मदद कर सकते हैं। उन्हें मदद करने का मौका दें। उनसे मदद लें!
  •  जब किसी व्यक्ति के जीवन में सभी समस्याएं एक साथ आती हैं, तो उन्हें लगता है कि इन समस्या से वो कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे। उन्हें इन समस्याओं से निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिखती, जिसके चलते लोग इन समस्याओं से भागने लगते हैं और उन्हें इनका एकमात्र विकल्प सुइसाइड लगता है।
  • सुसाइड के विचार हमेशा अस्थायी होते हैं, ऐसा लग सकता है कि आपका दर्द और दुख कभी खत्म नहीं होगा, लेकिन कोई भी संकट आमतौर पर अस्थायी होते हैं। हर समस्या के समाधान अक्सर पाए जाते हैं, भावनाएं बदलती हैं और सकारात्मक घटनाएं घटती हैं।
  • आत्महत्या किसी बात का स्थायी समाधान हो ही नहीं सकता इसलिए, चीजों को बदलने के लिए और दर्द कम होने के लिए खुद को पूरा समय दें।

आत्महत्या का ख्याल आने पर इन बातों का रखें ध्यान 


कुछ भी नहीं करने का वादा करें, भले ही आप अभी बहुत दर्द में हैं लेकिन, गलत विचारों और कुछ भी गलत करने से खुद को रोककर रखें। अपने आप से एक वादा करें कि मैं 24 घंटे इंतजार करूंगा और उस दौरान कुछ भी खुद के साथ गलत नहीं करूंगा।

 

  • दवाओं और शराब से बचें

    अगर आपने ड्रग्स या एल्कोहॉल लिया है, तो आत्महत्या के विचार और भी मजबूत हो सकते हैं। जब आप निराशा महसूस करते हैं या आत्महत्या के बारे में सोच रहे हों, तो नशीली दवाओं या एल्कोहॉल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • लोगों की बातों पर ध्यान न दें

    हमारा व्यक्तित्व कैसा है, इस बात को हमसे ज्यादा कोई और बेहतर नहीं जान सकता। इसके बाद परिवार के लोगों को हमारी सभी अच्छी-बुरी आदतों के बारे में पता होता है। अक्सर हमारे आस-पास के लोग किसी न किसी तरह से हमें जज करते हैं या नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।

  • हमारे काम में कमी निकालना कुछ लोगों की आदत होती है, लेकिन हमें इन सभी बातों को नजरअंदाज करके खुद को स्ट्रॉन्ग बनाना चाहिए और अपनी सभी कमियों को जानकर उनको दूर करने की कोशिश करनी चाहिए, न कि हताश होकर हार मान लेनी चाहिए। जो भी व्यक्ति आपको नेगेटिव फील करवाता है, उससे हमेशा दूरी बनाकर रखें। ऐसे लोगों से दूर रहने में ही आपकी भलाई है।
  • शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से व्यायाम करना बहुत फायदेमंद होता है। यह आपके शरीर में सकरात्मक ऊर्जा लाता है और दिमाग में जो भी बुरे विचार आते हैं, उनको दूर करता है।
  • आपको हमेशा ऐसे व्यायाम करने चाहिए, जिससे आपका स्ट्रेस लेवल कम हो और शरीर में पॉजिटिव हार्मोन्स बनें। मेडिटेशन से भी स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। आज के युग में योग एक ऐसा उपाय है, जिसकी मदद से आप अपनी हर बीमारी का निवारण कर सकते हैं।

 

अपने घर को सुरक्षित बनाएं


उन चीजों को हटा दें, जिनका उपयोग आप खुद को चोट पहुंचाने के लिए कर सकते हैं जैसे कि गोलियां, चाकू, छुरा आदि। जब भी आत्महत्या का विचार आएं, तो किसी अपने से बात करें। किसी बेहतर माहौल में जाएं और लोगों की बात सुनें और समझें। कभी-कभी कुछ बोल देना और सुन लेने से ही दिल का बहुत भारी बोझ हल्का हो जाता है। खुद के लिए मजबूती के साथ खड़े रहें। ध्यान रहे कि कोई भी समस्या या दर्द आपके जीवन से बड़ी नहीं हो सकती!

 

 डॉ रमेश चंद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से पूर्व उप निदेशक के पद पर रिटायर हुए हैं। अपने सेवाकाल में  हर जरूरतमंद  के लिए उनके मदद भरे हाथ आगे बढ़े हैं। सरल और स्‍नेहिल स्‍वभाव की वजह से डा रमेश ने समाज की वाहवाही बटोरी है। एक चिकित्‍सक होने के अलावा बेहतरीन लेखक भी हैं। समय -समय पर इनकी फेसबुक के ब्‍लाग लोगों में जागरूकता की अलख जगाते हैं। वर्तमान में तेंजिन अस्‍पताल में चिकित्सा अधीक्षक हैं। संपर्क 9418189900

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