Blog: घायलों को रेस्कयू कर फरिश्ता बने लोग, अस्पताल में खुली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल
हाइलाइट्स
-
अस्पताल में संसाधनों के अभाव के चलते दस में से आठ घायल टांडा रेफर
-
जान जोखिम में डालकर घायलों को मुख्य सड़क और फिर अस्पताल तक पहुंचाया
पोस्ट हिमाचल न्यूज ब्लाॅग
जोगेंद्रनगर(मंडी)। लोक सभा चुनाव नजदीक हैं। नेता व्यवस्था परिवर्तन का रागअलाप कर स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतरी का दम भर रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर है। आपतकाल में फरिश्ता बने लोग जान जोखिम में डालकर घायलों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में संसाधानों के अभाव के कारण रोगियों को मामूली मरहम पट्टी के बाद मेडिकल कालेजों में रेफर करना पड़ रहा है। रविवार को जोगिंद्रनगर उपमंडल में हुआ हादसा व्यवस्था परिवर्तन पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जहां लोगों ने जान जोखिम में डालकर घायलों को अस्पताल तो पहुंचाया, लेकिन संसाधनों के अभाव के चलते मामूली मरहम पट्टी के बाद दस में से आठ घायलों को टांडा मेडिकल कालेज रेफर करना पड़ा। यदि घायल अति गंभीर होते तो जरा सोचिए क्या होता……?
इसलिए उठ रहे सवाल
-
धार पंचायत के प्रधान चंदेल सिंह ने बताया कि रविवार दोपहर करीब एक बजे जैसे ही जीप दुर्घटनाग्रस्त होकर गहरी खाई में जा गिरी तभी साथ लगते तीनों गांवों के लोगों ने घटनास्थल में पहुंचकर दुर्घटनाग्रस्त जीप में फंसे और आसपास गिरे घायलों को पत्थरीले रास्तों से रैस्कयू कर मुख्य सड़क पर पहुंचाया। पुलिस और 108 एंबुलेंस को भी तत्काल जानकारी देकर घटनास्थल में बुला लिया। इससे पहले कि 108 एंबुलैंस में तैनात स्वास्थ्य कर्मी घायलों को रेस्कयू कर पाते ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही घायलों को सुरक्षित निकाला। मौके पर मौजूद ग्रामीण महेंद्र सिंह, काली दास, गैहरू राम का साहस भी काम आया।
-
अस्पताल पहुंचे तो सिटी स्कैन जैसी आवशयक सुविधा के लिए गंभीर मरीज फिर लाचार दिखे। जीवनरक्षक दवाओं की कमी भी मरीजों को खली। ट्रामा सेंटर ओर आपात संसाधनों के आभाव को देखते हुये दस में से आठ घायलों को टांडा मेडिकल अस्पताल रेफर करना। केवल दो घायलों को ही प्राथमिक उपचार के बाद स्थानीय अस्पताल में उपचार के दाखिल किया गया।
-
रविवार को जोगेंद्रनगर अस्पताल में सड़क हादसे में घायलों को यथासंभव उपचार दिलाने के आपातकालीन सेवाओं में तैनात चिकित्सक ने अपने स्टाफ के साथ त्वरित स्वास्थ्य लाभ दिलाने में कोई भी कसर नहीं रखी।लेकिन आपात स्थिति में मरीजों की जान पर अचानक जोखिम से निपटने के कोई भी सुविधा ना होना घायलो के लिए भी मुसीबत बना हुआ है।
-
1940 के दशक के उपमंडलीय अस्पताल में वेंटीलेटर की सुविधा भी उपलब्ध नही हो पाई है। सीसीयू में भी मोनीटरिंग उपकरण पर्याप्त नहीं।
-
मेडिसन विशेषज्ञ चिकित्सक के ना होने से गंभीर मरीजों का मर्ज बढ़ता जा रहा है। लचर स्वास्थ्य संसाधनों के चलते उपमंडल स्तर का नागरिक अस्पताल अब रेफरल अस्पताल बन चुका हैं।
-
समारिक द्रष्टि से अहम मंडी पठानकोट हाईवे ओर जोगेंद्रनगर सरकाघाट सड़क पर गहरी खाइयों में लगातार हो रहे सड़क हादसों में कई घरों के चिराग बुझ जाने के बाद भी उपमंडल स्तर के अस्पताल में आपातकालीन संसाधनों की दरकार बरकरार हैं और यही कारण है कि गंभीर घायलों को भी नाजुक हालत में रैफर करना अस्पताल के चिकित्सकों की मजबूरी बन चुकी है।
रविवार के अवकाश के बावजूद भी घायलों को जोगेंद्रनगर अस्पताल में चिकित्सकों की मौजूदगी में स्टाफ नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने जितना हो सके बेहतर स्वास्थ्य लाभ दिलाया। स्वास्थ्य सुविधा और संसाधनों में विस्तार करने के प्रयास जारी हैं। विभाग के उच्च अधिकारियों से भी सहयोग मांगा है ताकि हादसों में घायलों को स्थानीय अस्पताल में ही स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
डॉ रोशन लाल कौंडल, एसएमओ, जोगिंद्रनगर अस्पताल