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Blog: यहां पवित्रता भंग होने पर रूठ जाते हैं हजार पहाड़ियों के राजा देव शेट्टीनाग

 

हाइलाइट्स

  • अकेले ऐसे देवता जो शिवरात्रि में राज देवता माधोराय के मंदिर में करते हैं निवास।
  • रियासत काल से मंडी शिवरात्रि में पधार रहे देवता, जलेब में भी होते हैं शामिल
  • दस हजार फीट की ऊंचाई पर विराजमान देवता, हजारों लोगों की आस्था का हैं प्रतीक

पोस्ट हिमाचल न्यूज


बालीचौकी(मंडी), फरेंद्र ठाकुर।समुद्रतल से दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी की चोटी में विराजमान देव शेट्टीनाग के अपने नियम और अपने कायिदे है। जिनके प्रति देवता सख्त है। मान्यता है कि अगर कोई उनकी पवित्रता को भंग देता है तो देवता रूठ जाते है और उसे दंडित भी करते हैं। उसी तरह मंडी शिवरात्रि की जलेब के समय भी अगर प्रशासन द्वारा कोई गड़बड़ की जाती है तो देवता रुष्ठ हो जाते है, फिर उन्हें मनाना भी आसान नहीं होता। सराजघाटी के देव शेट्टी नाग को शेषनाग का रूप माना गया है। देवता की पूरी सराज घाटी में एक अलग पहचान है। यह देवता रियासत काल से नियमित अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी में शिरकत करते हैं। देव शेट्टीनाग शिवरात्रि महोत्सव के दौरान निकलने वाली जलेब में शामिल होकर उसकी शोभा बढ़ाते है। उनके साथ डाहरगढ़ की अबिंका माता भी चलती है। हांलांकि जलेब में अधिकतर देवताओं को शामिल होने का अवसर नहीं मिलता। मंडी जिले में देव शेट्टीनाग मात्र एक ऐसे देवता हैं जो मंडी के राज देवता माधोराय के मंदिर में शिवरात्रि के दौरान निवास करते हैं। देवता के कारदार हिम्मत राम ने बताया है कि शेट्टी नाग का मूल स्थान एस शेट्टाधार में स्थित है। इस पहाड़ी पर मंदिर से कुछ दूरी पर जोगी पाथर नामक पवित्र स्थान भी है, जहां पर मंडी जिले के कई देवता शक्तियां अर्जित करने के लिए आते है। इसके अलावा देवता की कोठी बुंग गांव में स्थित है। वहीं पर देवता का रथ रहता है। देव शेट्टीनाग चार बढ़ के देवता है।

कई तरह के रोगों को स्वयं दूर करते हैं देव मार्कंडेय


मंडी शिवरात्रि महोत्सव में अन्य देवी-देवताओं के साथ पधारे इलाका सुनारू वांश बालीचौकी के देवता महाऋर्षि मार्कंडेय का शिवरात्रि महोत्सव में महत्वपूर्ण स्थान है। देवता के गुर जयदेव शर्मा ने बताया है कि देवता रियासत काल से ही मंडी शिवरात्री में पधारते हैं। मार्कंडेय ऋषि दिन के समय अन्य देवी देवताओं सहित पड्डल मैदान में विराजमान होते हैं। मान्यता है कि देवता कई तरह के रोगों को भी दूर करते हैं, जिसके चलते देवता को मान्यता मंडी समेत कुल्लू जिले में भी है।

महाभारत से जुड़ा देव मतलोड़ा का इतिहास


सराज के भाटकीधार क्षेत्र के देव विष्णु मतलोड़ा को भगवान विष्णु के प्रतिरूप में पूजा जाता है। देवता का इतिहास महाभारत कालीन संस्कृति से जुड़ा है। किंवदंति है कि महाभारत युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र से देव विष्णु मतलोड़ा द्रंग, मंडी, घासनू होते हुए भाटकीधार पहुंचे थे। बालक रूप में पहुंचे देव विष्णु मतलोड़ा का सामना यहां दैत्य से हुआ। एक महिला की सहायता से देव विष्णु मतलोड़ा ने दैत्य का संहार कर स्थानीय लोगों को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया था।

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