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Blog: हिमाचल को शानन प्रोजेक्ट का स्वामित्व मिला तो बरोट में पर्यटन के लगेंगे पंख, बढ़ेगें आय के संसाधन, रोजगार

हाइलाइट्स

  • पंजाब राज्य की इस परियोजना में सालाना चार सौ करोड़ का राजस्व
  • ऐशिया के पहले रोपवे पर भी है अधिकार
  • एक फूटी कौड़ी भी प्रदेश सरकार को नहीं मिल पा रही

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में शानन प्रोजेक्ट को अगर हिमाचल सरकार को मालिकाना अधिकार (स्वामित्व) मिलता है तो बरोट वैली के पर्यटन की संभावनाओं में भी विस्तार होगा। राज्य में आय के संसाधन भी बढ़ेगें। वहीं बेरोजगारों को भी रोजगार मिलेगा। मौजूदा समय में हिमाचल के पानी से पंजाब राज्य की 110 मैगावाट पन विद्युत परियोजना में सालाना चार सौ करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है। जिसकी एक फूटी कौड़ी भी प्रदेश सरकार को नहीं मिल पा रही है।

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  • एशिया के पहले रोपवे पर भी शानन प्रोजेक्ट का मालिकाना अधिकार है। इसे पर्यटन के तौर पर विकसित करने के लिए पंजाब राज्य ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई।
  • बरोट वैली में परियोजना की रेजरवायर और आसपास की सुदंरता को निहारने के लिए पहुंच रहे पर्यटकों को भी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध करवाने को लेकर परियोजना प्रबंधन ने बीते नौ दशकों में कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतारा।
  • यहां पर करीब डेढ सौ बीघा भूमि परियोजना प्रबंधन के अधीन है। जहां पर इनकी आवासीय और कार्यालय परिसर बने हैं लेकिन पर्यटन की दृष्टि में विकसित हो रहे बरोट वैली को संवारने में पंजाब राज्य ने कतई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसका एक कारण परियोजना की सुरक्षा भी रहा है।

 

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ऐसे में अब अगर शानन प्रोजेक्ट हिमाचल सरकार के अधीन आता है तो यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि बरोट वैली को विश्व पटल पर दर्शाने के लिए पूर्व में काबिज सरकारों ने भी योजना के प्रारूप तैयार कर रखा है।

 

शानन प्रोजेक्ट में हिमाचल के बेरोजगारों को नहीं रोजगार


110 मैगावाट शानन प्रोजेक्ट में दो सौ से अधिक लोगों को रोजगार की भी संभावनाएं प्रबल है। करीब ढाई सौ बीघा भूमि पर फैले शानन प्रोजेक्ट के पावर हाउस में तकनीकी कर्मचारियों में अधिकांश पंजाब राज्य के ही अधिकारी और कर्मचारी सेवारत हैं। यहां पर हिमाचल के लोगों को रोजगार के लिए पंजाब राज्य सरकार ने अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में अगर शानन प्रोजेक्ट पूर्ण रूप से हिमाचल सरकार के अधीन आता है तो काफी संख्या में तकनीकी कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा।

पंजाब राज्य की इस पन विद्युत परियोजना में हिमाचल के लोगों को भी रोजगार दिलाना प्रबंधन की प्राथमिकता रही है। सुरक्षा कारणों के चलते बरोट स्थित रेजर वायर और ऐशिया के पहले रोपवे पर दौड़ रही ट्रोली को पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिला लेकिन इसके जीर्णोद्धार को लेकर परियोजना प्रबंधन ने लाखों करोड़ों की धनराशी खर्च की है।

आर ई सतीश कुमार, शानन प्रोजेक्ट

 

जानें शानन का पूरा पूरा मामला


  • विचाराधीन परियोजना हिमाचल प्रदेश में स्थित है और इसका वार्षिक कारोबार लगभग 200 करोड़ रुपये है। इसकी स्थापना 1925 में तत्कालीन मंडी रियासत में हुई थी, लेकिन इसे पंजाब सरकार को पट्टे पर दे दिया गया था। 1966 में जब पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों का पुनर्गठन हुआ, तो परियोजना पंजाब को आवंटित की गई। राज्य के पक्ष में 99 साल का पट्टा 2 मार्च, 2024 को समाप्त हो गया।
  • हिमाचल प्रदेश के इस दावे की पृष्ठभूमि में कि वह इस परियोजना पर कब्ज़ा कर लेगा, वर्तमान मुकदमा पंजाब द्वारा दायर किया गया है।  जिसमें कहा गया है कि इसे भारत सरकार के सिंचाई और बिजली मंत्रालय द्वारा 1 मई, 1967 को जारी अधिसूचना के माध्यम से आवंटित किया गया था।
  • राज्य का दावा है कि 1932 में इसकी स्थापना के बाद से ही परियोजना पर उसका कब्ज़ा, नियंत्रण और प्रबंधन रहा है। पंजाब सरकार ने याचिका के जरिए अंतरिम राहत के रूप में, हिमाचल प्रदेश के खिलाफ अस्थायी विज्ञापन-अंतरिम निषेधाज्ञा के लिए अपील की है, ताकि परियोजना के लिए यथास्थिति बनाए रखी जा सके। मामलर अब कोर्ट में है। 

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