सोलन की मेयर ऊषा और पार्षद पूनम ग्रोवर पर लगा दलबदल कानून, अयोग्य करार
हाइलाइट्स
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मेयर और पार्षद की कुर्सी गई, यूडी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
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डीसी सोलन की रिपोर्ट पर निदेशक शहरी विकास विभाग ने जारी किए आदेश
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कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बावजूद पार्टी के खिलाफ गई ऊषा और पूनम
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मेयर पद के कांग्रेस के प्रत्याशी सरदार सिंह ठाकुर की शिकायत पर कार्रवाई
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
सोलन। हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम के दलबदल कानून के तहत सोलन की मेयर उषा शर्मा व पूर्व मेयर एवं पार्षद पूनम ग्रोवर अयोग्य घोषित हो गई हैं। मेयर और पार्षद दोनों की कुर्सी भी छिन गई है। आरोप था कि कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बावजूद पार्टी के खिलाफ भाजपा और तीन अन्य पार्षदों की मदद से ऊषा ने सोलन नगर निगम के मेयर की कुर्सी पर कब्जा किया।
अध्यक्ष जिला कांग्रेस समिति और और मेयर पद के प्रत्याशी रहे सरदार सिंह ठाकुर ठाकुर ने इसे हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम के दलबदल कानून का उल्लंघन बताया और आयुक्त नगर निगम के पास शिकायत दर्ज करवाई। आयुक्त ने मामला शहरी विकास विभाग के निदेशक को भेजा था। कायदे के अनुसार मामला जांच के लिए डीसी सोलन के पास आया और जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट निदेशक शहरी विकास विभाग को भेजी। जिसके बाद यूडी के निदेशक ने आदेश जारी करते हुए मेयर उषा शर्मा व पूर्व मेयर और पार्षद पूनम ग्रोवर अयोग्य करार दिया गया है। अब नए मेयर की ताजपोशी की अटकलें तेज हो गई हैं। उधर,मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूडी के निणर्य के खिलाफ अयोग्य मेयर और पार्षद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है।
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यह लगे थे आरोप
अध्यक्ष जिला कांग्रेस समिति और सरदार सिंह ठाकुर पार्षद सोलन ने आरोप लगाया था कि पार्षद पूनम ग्रोवर, राजीव कुमार कौड़ा, ऊषा शर्मा और अभय शर्मा ने मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के दौरान पार्टी के निर्देशों के खिलाफ जाकर अपना वोट कांग्रेस पार्टी के नामांकित उम्मीदवार यानी सरदार सिंह ठाकुर के बजाय उषा शर्मा के पक्ष में डाला। हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 8-ए दलबदल का उल्लंघन है।
यह कहता है कानून
निगम का चुनाव राजनीतिक दलों के पार्टी चिन्हों के आधार पर होगा। वह व्यक्ति निगम का पार्षद होने के लिए अयोग्य होगा जिसने स्वेच्छा से ऐसे राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ दी है या यदि पार्टी की अनुमती के बगैर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ वोट देता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है वह अयोग्य होगा। यदि पंद्रह दिन के अंदर संबंधित पार्टी उसके कृत्य को माफ करती है तो वह योग्य होगा। निगम का कोई पार्षद जो स्वतंत्र प्रतीकों पर चुना गया है, यदि वह ऐसे चुनाव के बाद किसी भी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है, तो उसे निगम का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।
यह पाया गया रिपोर्ट में
हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 8-सी के प्रावधानों के मद्देनजर डीसी सोलन मनमोहन शर्मा ने जांच के दौरान सभी आरोप सही पाए हैं। उषा शर्मा वार्ड नंबर 12, पूनम ग्रोवर वार्ड नंबर 8, राजीव कुमार कौरा वार्ड नंबर 14 और अभय शर्मा वार्ड नंबर 11 को सोलन के पार्षद के रूप में निर्वाचित किया गया। विस्तृत जांच में पाया गया कि उषा शर्मा और पूनम ग्रोवर स्पष्ट रूप से एचपी नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 8ए के प्रावधानों को आकर्षित करती हैं और पार्षद के रूप में उनकी अयोग्यता के लिए उनके दलबदल का आधार है। राजीव कुमार कौरा और अभय शर्मा का आचरण कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ था और मेयर चुनाव में उनकी भूमिका थी।