New Delhi/ Agencies: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिये गए अन्य लोगों ने मंगलवार को उन पुलिस थानों पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया, जहां उन्हें रखा गया है। इन लोगों को उस समय हिरासत में लिया गया जब वे लद्दाख के लिए छठी अनुसूची में दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च कर रहे थे। दिल्‍ली सीएम आतिशि ने कहा कि “लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा चाहते हैं। सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोग जो बापू की समाधि पर जा रहे थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने मुझे सोनम वांगचुक से मिलने नहीं दिया। यह भाजपा की तानाशाही है। हम सोनम वांगचुक का पूरा समर्थन करते हैं। लद्दाख में एलजी का शासन खत्म होना चाहिए और उसी तरह दिल्ली में भी एलजी का शासन खत्म होना चाहिए…मुझे पूरा विश्वास है कि इन पुलिस अधिकारियों को एलजी साहब का फोन आया होगा कि चुनी हुई सरकार के प्रतिनिधि, दिल्ली के सीएम को सोनम वांगचुक से मिलने नहीं दिया जाना चाहिए। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए और दिल्ली को भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। आज भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने, वोट देने के अधिकार को छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ती। उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया? मुझे उनसे मिलने से क्यों रोका जा रहा है? क्योंकि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र से डरती है और आज मैं पूरे विश्वास के साथ कह रही हूं कि अगर भारतीय जनता पार्टी की ऐसी तानाशाही चलती रही तो एलजी का शासन खत्म हो जाएगा उन्होंने कहा कि लद्दाख में भाजपा का शासन खत्म हो जाएगा, दिल्ली में एलजी का शासन खत्म हो जाएगा और यहां भी केंद्र सरकार में भारतीय जनता पार्टी का शासन खत्म हो जाएगा।

बता दें कि वांगचुक, एक महीने पहले लेह से शुरू हुई ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे है। उन्हें और लद्दाख के लगभग 120 अन्य लोगों को सोमवार रात हिरासत में लिया गया। पदयात्रा का आयोजन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ द्वारा किया गया था, जो ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर पिछले चार साल से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा दिए जाने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ ही शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और लेह एवं करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, वांगचुक और उनके साथ आए लोगों को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिया गया और उन्हें बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्र और अलीपुर सहित विभिन्न पुलिस थानों में ले जाया गया। अधिकारी ने कहा, ‘हमने उन्हें वापस जाने के लिए समझाने की कोशिश की क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 (जो पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाती है) लागू है, लेकिन वे अड़े रहे।’

लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों में करीब 30 महिलाएं भी शामिल हैं और उन्हें पुरुष बंदियों के साथ रखा गया है। हनीफा ने कहा, ‘लद्दाख के कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्हें अलग-अलग पुलिस थानों में रखा गया है। मैं उनमें से कुछ से कल देर रात और आज सुबह मिला ।’

उन्होंने कहा कि मंगलवार सुबह सिंघु बॉर्डर पर मार्च में शामिल होने आए करगिल के करीब 60-70 लोगों को भी दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। हनीफा ने कहा कि करीब 30 महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘उन्हें पुरुष बंदियों के साथ रखा गया है।’ हालांकि, दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात कहा था कि महिला प्रदर्शनकारियों को हिरासत में नहीं लिया गया।

 

मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक तथा कई अन्य लद्दाख वासियों को हिरासत में लिया जाना ‘कार्यरतापूर्ण, अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य’ कार्रवाई है। केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने वाले वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में ले लिया। खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘सत्ता के नशे में चूर मोदी सरकार ने लद्दाख से शांतिपूर्वक दिल्ली मार्च कर रहे नागरिकों के एक समूह को हिरासत में ले लिया है। यह और कुछ नहीं बल्कि एक कायरतापूर्ण कार्रवाई है तथा पूरी तरह से अलोकतांत्रिक प्रकृति की है।’