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संजौली कॉलेज में हंगामा: SFI कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की

 

Shimla: 6 छात्र नेताओं के निष्कासन का मामला तूल पकड़ गया है। तनाव बढ़ गया है। संजौली कॉलेज में छात्र नेताओं निष्कासन पर भड़की एसएफआई ने RKMV, कोटशेरा में प्रदर्शन किया । वहीं, कार्यकर्ताओं ने आज सुबह 10 बजे से ही संजौली कॉलेज के बाहर नारेबाजी शुरू कर दी है। छात्रों ने कॉलेज के अंदर घुसने का प्रयास किया। जिसके लिए पुलिस को छात्रों को रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग किया तो हलकी धक्‍का मुक्‍की हो गई।
कॉलेज में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कॉलेज में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है। गेट से लेकर पूरे परिसर में पुलिस व क्यू आरटी के जवान तैनात किए गए है। कॉलेज परिसर में चप्पे पर पुलिस जवान है।

एसएफआई के राज्य सचिव दिनित ने कहा कि उन्होंने कॉलेज प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया है कि छात्र संगठन प्रशासन से निष्कासन को लेकर वार्ता करना चाहता है। लेकिन प्रशासन यदि छात्र संगठन को वार्ता के लिए नहीं बुलाता तो छात्र जबरदस्ती गेट और बैरिकेड को पार कर अंदर घुसेंगे। उन्होंने कहा कि कॉलेज प्रशासन यदि अपना अड़ियल रवैया नहीं बदलता तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश भर में किया जाएगा और सचिवालय तक का घेराव करेंगे।

कॉलेज प्रिंसिपल भारती भांगड़ा ने कहा कि कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को कई बार शो कॉज नोटिस जारी किए है। लेकिन छात्र बाज नहीं आए, शिक्षकों के साथ गलत व्यवहार और धमकियां दें रहे है। जिसके बाद प्रशासन ने पूरे स्टाप और वूमेन सेल की सिफारिश पर 6 छात्रों को निष्कासित किया है। उन्होंने कहा कि छात्रों को कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन यह छात्र नही गुंडे है, इनका निष्कासन वापस नहीं होगा।

कहां से शुरू हुआ विवाद..?

बता दें कि वीरवार को कॉलेज की एक छात्रा ने कॉलेज के ही एक छात्र के खिलाफ़ छेड़छाड़ की शिकायत दी थी। जिसको लेकर एसएफआई कॉलेज प्रशासन से वूमेन सेल कमेटी गठित करके मामले की जांच की मांग की थी। दूसरे दिन शुक्रवार को एसएफआई कॉलेज प्रशासन से फिर मिलती है, और मामले में प्रशासन ने क्या कार्रवाई की उसके बारे में जानकारी लेती है। कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई से ही असन्तुष्ट होकर छात्र संगठन परिसर में धरने का आवाहन कर देती है। जिसको कॉलेज प्रशासन रोकने का प्रयास किया, जिसके बाद प्रोफेसरों व छात्र कार्यकर्ताओं के बीच बहस हो गई और बात निष्कासन तक पहुंच गई। बाद में कॉलेज प्रशासन 6 एसएफआई कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया और गतिरोध बढ़ गया।

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