अनंत काल से भ्रातृ प्रेम की डोर से बंधे हैं मंडी के राजदेवता माधोराय और देव अनंत बालूनाग, शास्त्रों में मिलता है उल्लेख
हाइलाइट्स
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144 साल बाद अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि उत्सव में शामिल हुए हैं देवता
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3 साल से शिवरात्रि महोत्सव में जाने की इच्छा जता रहे थे देव अनंत बालूनाग
बालीचौकी(मंडी), फरेंद्र ठाकुर । मंडी के राजदेवता माधोराय और देव अनंत बालूनाग अनंत काल से भ्रातृ प्रेम की डोर में बंधे हैं। माधोराय को श्रीकृष्ण का रूप माना गया है। वहीं, अनंत बालूनाग लक्ष्मण का अवतार मानकर करक पूजा जाता है। दोनों देवताओं का आपस में भाई-भाई का रिश्ता है। बालूनाग के कारदार बताते हैं कि शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है। मंडी महाशिवरात्रि इस बार बेहद विशेष महत्व है। करीब 144 साल बाद देव अनंत बालूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए मंडी आए हैं और अपने भाई राजदेवता माधोराय के साथ मिलन देव समाज में ऐतिहासित क्षण माना जा रहा है।
कोई विवाद नहीं पर खुद कि इच्छा से मंडी शिवरात्रि में नहीं शामिल हो रहे थे देव अनंत बालूनाग
ऐसा कहा जा रहा है कि कोई विवाद नहीं पर देव अनंत बालूनाग खुद कि इच्छा से मंडी शिवरात्रि में नहीं शामिल हो रहे थे। वर्ष 1880 तक निरंतर छोटी काशी मंडी की अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने वाले देवता अनंत बालू नाग का मंडी के राज देवता माधोराय के साथ पुराना नाता रहा है। उस समय के दौर में भी लक्ष्मण अवतार देव अनंत बालूनाग सबसे पहले देवता माधोराय के दरबार में अपना शीश नवाकर शिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाते थे। अब देवता करीब 144 साल बाद अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए मंडी आए हैं। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से देवता समिति को निमंत्रण नहीं दिया है। देवता के कारकूनो के अनुसार देवता अनंत बालूनाग करीब 3 साल से शिवरात्रि महोत्सव में जाने की इच्छा जता रहे थे। जिसके बाद देव आदेश पर हरियान देवता संग मंडी आए है। उनके लिए देवता का आदेश सर्वोपरि है। देवता अनंत बालूनाग के कारदार ख्याली राम शर्मा ने बताया है कि कुल्लू समेत मंडी जिला में हजारों लोगों के देवता के प्रति गहरी आस्था है।
मंडी और कुल्लू में बरसाए थे राहत के बादल
पूर्व काल में मंडी और कुल्लू जिले में भारी सूखा पड़ गया था। लंबे समय से बारिश का नामोनिशान ही मिट गया था। जिसके चलते कुल्लू के राजा मान सिंह देवता अनंत बालूनाग के दरबार शिकारीगढ़ में पहुंचे थे,जो कि बाहु से एक किलोमीटर दूर स्थित है। वहां पहुंचकर राजा ने देवता से बारिश होने की प्रार्थना की। जिसके बाद देवता ने गुर के माध्यम से कहा कि कुछ देर के भीतर ही बारिश होगी। बारिश होते ही राजा अचंभित हो गया और देवता को चांदी का मोहरा भेंट किया, जिसे आज भी देवता की कोठी में रखा गया है।
जमीन विवाद को सुलझाने और बीमारी को दूर करने में भी सक्षम
देवता अनंत बालूनाग ग्रामीणों के जमीनी विवाद को सुलझाने और कई तरह के रोगों को दूर करने में भी सक्षम है। वर्तमान में देवता ने जमीनी विवाद से जुड़े ग्रामीणों के सैकड़ों मामलों को सुलझाया है। देवता स्वयं अपने देवरथ से जमीन पर लकीर खींच देकर विवादित मामलों को हल करते है। वहीं, देवता कई तरह के रोगों को भी खत्म कर देते हैं। जिसे देवता के शेषा अमृत पिलाकर दूर किया जाता है। यह शेषा अमृत फाटी खाबल के खमारगा में देवता के गुर के घर में पिलाया जाता है। ऐसे बीमारी से जुड़े सैकड़ों मामलों को देवता द्वारा ठीक किया गया है। जिसके चलते मंडी जिले के श्रद्धालुओं की आस्था भी देवता के प्रति बढ़ी है।
बालो में 1500 साल पुराना है मंदिर, होते है चार पर्व
बंजार की खाबल पंचायत के बालो में अनंत बालूनाग का 1500 साल पुराना मंदिर स्थित है। जिसके भीतर काफी गहराई तक अमृत का जल भी है, हालांकि इसे कोई भी छू नहीं पाता है। इस स्थान पर वर्ष में देवता के चार पर्व प्राचीन समय से मनाए जा रहे है। जिसमे कुल्लू, मंडी और शिमला जिले के लोग भी शामिल होते है। देवता के कारदार ने बताया है कि देवता को चार बढ़ व दो राज का देवता माना जाता है।
दशहरा महोत्सव में रघुनाथ के दाईं और चलते थे बालूनाग
कुल्लू दशहरा महोत्सव में अनंत बालूनाग भगवान रधुनाथ के दाईं ओर चलते थे, लेकिन शृंगा ऋषि और बालूनाग में पिछले कई दशकों से चलने को लेकर धुर विवाद चला है। माना जाता है कि रधुनाथ की दाईं ओर लक्ष्मण का स्थान है, जिसको लेकर दोनों देवताओं में विवाद चल रहा है।