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कंगना रनौत की इमरजेंसी पर मंडराए संकट के बादल, सेंसर बोर्ड से अभी भी स्वीकृति नहीं

 

Post Himachal, New Delhi/Shimla


कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी रिलीज से पहले कंट्रोवर्सी में फंसी चुकी है। सेंसर बोर्ड से इस फिल्‍म को स्‍वीकृति नहीं मिली है। पिछले कल एक्‍स पर खुद कंगना रणौत ने इसका खुलासा किया है। उन्‍होंने कहा कि मुझे और सेंसर बोर्ड को धमकियां मिल रही हैं। जिसमें इंदिरा गांधी के असेसिनेशन(हत्‍या) और भिंडरावाला प्रकरण को न दिखाने की चेतावनी दी ज रही है। मूवी में यह नहीं दिखाएंगे को क्‍या दिखाएंगे?
बता दें कि पंजाब, तेलंगाना, नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित भारत भर के कई सिख संगठनों ने कंगना रनौत अभिनीत आगामी बॉलीवुड फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर बैन लगाने की मांग की है।

राजनीतिक थ्रिलर है यह मूवी


यह फिल्म एक जीवनी पर आधारित राजनीतिक थ्रिलर है, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1975 से 1977 तक 21 महीने की इमरजेंसी लगाई थी।

इन वजहों से बैन की मांग


यह हंगामा 14 अगस्त को जारी किए गए 2.43 मिनट के ट्रेलर से उपजा है। सिख समूहों की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिनका दावा है कि फिल्म उनके समुदाय को गलत तरीके से पेश करती है और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दिखा रही है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। संगठन का आरोप है कि ट्रेलर सिख समुदाय को गलत तरीके से पेश करता है और उसे डर है कि फिल्म नफरत भड़का सकती है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने कंगना रनौत और फिल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भी जारी किया है, जिसमें ट्रेलर को हटाने, सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने और फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

 

इस सीन पर नाराजगी


  • मुख्य आपत्ति उस सीन पर है, जिसमें दिवंगत खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले को अलग मातृभूमि की वकालत करते हुए दिखाया गया है। ट्रेलर में एक डायलॉग शामिल है, “आपकी पार्टी को वोट चाहिए और हमें खालिस्तान चाहिए,” जिसने कुछ सिख समूहों को विशेष रूप से नाराज कर दिया है, जो दावा करते हैं कि भिंडरावाले ने कभी ऐसी मांग नहीं की।
  • ट्रेलर के दर्शकों ने फिल्म निर्माताओं की आलोचना की है कि उन्होंने कहानी का केवल एक पक्ष ही पेश किया है, जिसमें अकाल तख्त साहिब पर बमबारी और ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण हुई मौतों जैसी प्रमुख घटनाओं को छोड़ दिया गया है।

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