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मणिमहेश यात्रा: हेली टेक्सी सेवा शुरू, 26 अगस्त से 11 सितंबर तक चलेगी यात्रा, जानें क्‍या है मान्‍यता

Highlights

  • छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त  26 अगस्त सुबह 3:40 से लेकर देर रात 2:20 बजे तक 

  • हेली टैक्सी से भरमौर से गौरीकुंड तक का एक तरफा किराााया 875 रुपए हुआ है तय 

  • चंबा से भी गौरीकुंड तक हेली टेक्सी सेवा का किराया 25 हजार रुपए निर्धारित

  • घोड़े पर यात्रा करनी है तो 4700 रुपए में होगा अपडाउन 

Post Himachal, Chamba


उत्तर भारत की पवित्र मणिमहेश यात्रा 26 अगस्त से 11 सितंबर तक चलेगी। धार्मिक यात्रा में छोटा शाही स्नान का शुभ मुहूर्त इस बार 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सुबह 3:40 बजे शुरू होगा, जो देर रात 2:20 बजे तक चलेगा। इस दौरान हजारों शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। वहीं, शाही स्नान राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को होगा। गुरूवार को मणिमहेश के लिए हेलीटैक्‍सी सेवा शुरू हो गई है। हेली टैक्सी से भरमौर से गौरीकुंड तक श्रद्धालुओं को 3875 रुपए एक साइड का किराया देना होगा। हेली टैक्सी का किराया इस बार पिछले साल की अपेक्षा 20 प्रतिशत कम है। वहीं, पहली बार चंबा से भी गौरीकुंड तक हेली टेक्सी सेवा शुरू की जा रही है। इसके लिए 25 हजार रुपए किराया निर्धारित किया गया है। श्रद्धालु मंदिर ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं।

यह है मान्‍यता


ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। ​माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।

 

जरा सी लापरवाही, जान पर भारी, एक की मौत


यहां जरा सी लापरवाी जान पर भारी पड़ सकती है। गुरूवार शाम दिल्ली के एक श्रद्धालु की मौत हो गई। दिल्ली के तिलक नगर निवासी 74 वर्षीय विक्रम मल्होत्रा ​​की गौरीकुंड के पास अचानक तबीयत खराब हो गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई। आज पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

5 स्थानों पर लगाए गए शिविरों में मेडिकल टीम तैनात


भरमौर से मणि महेश तक विभिन्न स्थानों पर रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों के अलावा पर्वतारोहण संस्थान के स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। 5 स्थानों पर लगाए गए शिविरों में मेडिकल टीम तैनात की गई है।

यहां बनाए गए कैंप, जहां मेडिकल टीम रहेगी तैनात


प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है।

घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए


मणिमहेश यात्रा ज्यादातर श्रद्धालु पैदल करते हैं। जो चलना नहीं चाहते या चलने में सक्षम नहीं हैं, वह घोड़ों, हेली टैक्सी या कुली के माध्यम से भी यात्रा कर सकते हैं। स्थानीय प्रशासन ने हेली टैक्सी, कुली और घोड़ों का किराया तय कर दिया है। भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दरें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है।

उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा


मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पढ़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्‌टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भीदेखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है।

 

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