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TET & DeLeD Application fee Hike: सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को 800 के बजाय देने होंगे 1600  

 

 

महंगाई की मार अब हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड बोर्ड द्वारा आयोजित करवाई जाने वाली डीएलएड (सीईटी) तथा सभी विषयों की अध्यापक पात्रता परीक्षाओं पर भी पड़ेगी

 

Post Himachal, Dharamshala


 

TET & DeLeD Application fee: महंगाई की मार अब हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड बोर्ड द्वारा आयोजित करवाई जाने वाली डीएलएड (सीईटी) तथा सभी विषयों की अध्यापक पात्रता परीक्षाओं पर भी पड़ेगी। इन परीक्षाओं का आवेदन शुल्क बढ़ा दिया गया है। इसे हजारेां बेरोजगारों को झटका लगा है। बोर्ड ने दोनों ही परीक्षाओं के आवेदन शुल्क को दोगुना कर दिया है। उधर, बोर्ड के अफसरों ने सफाई देते हुए कहा कि बोर्डों आदि द्वारा निर्धारित शुल्कों की तुलना करने के उपरांत करीब 11 वर्ष पूर्व निर्धारित आवेदन शुल्कों को पुन: निर्धारित किया गया है। बता दें कि बोर्ड द्वारा साल में 2 बार अध्यापक पात्रता परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जबकि एक बार डीएलएड (सीईटी) परीक्षा करवाई जाती है। 

 

  • अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान सामान्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों को जहां पहले 800 रुपए शुल्क देना पड़ता था, अब उन्हें 1600 रुपए देना पड़ेगा।

  • ओबीसी, एससी, एसटी एंड पीएचएच (दिव्यांग) अभ्यर्थियों को पहले आवेदन के लिए 500 रुपए देने पड़ते थे, अब उन्हें 1000 रुपए देने पड़ेंगे।

  • विलंब शुल्क पहले जहां 300 रुपए था, अब 600 रुपए रहेगा।


 

  • डीएलएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए पहले सामान्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान 600 रुपए देने पड़ते थे, अब उन्हें 1200 रुपए देने होंगे ।

  •  ओबीसी, एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को आवेदन करने के दौरान पहले जहां 400 रुपए लगते थे, अब उन्हें ऑनलाइन आवेदन शुल्क 800 रुपए देना पड़ेगा।

  • वहीं विलंब शुल्क पहले जहां 300 रुपए था, उसे बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया है।

 

 हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डाॅ. मेजर विशाल शर्मा ने कहा कि वर्तमान में अलग-अलग स्तर पर सामग्री, ईंधन-कागज, स्टेशनरी, प्रिंटिंग सामग्री व यातायात आदि की कीमतों में वृद्धि हो जाने से लगभग 10 से 11 वर्ष पूर्व निर्धारित आवेदन शुल्क को पुन: निर्धारित किया गया है। अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ अति दुर्गम क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत कम अभ्यर्थियों के लिए बोर्ड को विशेष परीक्षा केंद्रों की स्थापना भी करनी पड़ती है।

 

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