श्रीखंड महादेव यात्रा का आधिकारिक शुभारंभ, 700 श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना
हाइलाइट्स
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बिना पंजीकरण और मेडिकल चैकअप के यात्रा न करें
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यात्रा में मादक पदार्थों का सेवन न करने की अपील
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
कुल्लू। उत्तर भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शामिल श्रीखंड महादेव यात्रा का आधिकारिक शुभारंभ रविवार को हुआ। 27 जुलाई तक चलने वाली इस यात्रा के पहले जत्थे को सुबह उपायुक्त कुल्लू एवं श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट की अध्यक्ष तोरुल एस रवीश ने निरमंड के सिंघगाड से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
बता दें कि 13 जुलाई की देर शाम यात्रा ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश 3 किलोमीटर पैदल चलकर बेस कैंप सिंघगाड़ पहुंचीं। यहां उन्होंने श्रीखंड सेवा समिति के पंडाल में शिव भक्तों के साथ संध्याकाल की शिव आरती में हिस्सा लिया। वहीं सभी तैयारियों का निरीक्षण भी किया। रविवार सुबह 5 बजे डीसी कुल्लू ने पहला जत्था यात्रा के लिए रवाना किया। इसके बाद विभिन्न जत्थों में करीब 700 श्रद्धालुओं को रवाना किया गया।
डीसी ने इस मौके पर कहा कि इस बार की श्रीखंड यात्रा के लिए प्रशासन द्वारा यात्रियों के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यात्रा से पूर्व श्रीखंड के रास्ते बनाकर तैयार किए हैं और रास्ते में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से की गई है। यात्रा में पुलिस, रैस्क्यू टीम, एसडीआरएफ, मेडिकल, रेवन्यू की टीमें हर बेस कैंप पर तैनात की गईं हैं। इस दौरान उन्होंने सभी श्रद्धालु यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन कर यात्रा को सफल बनाने में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि कोई भी यात्री बिना पंजीकरण और मेडिकल चैकअप के यात्रा पर न जाएं, इससे यात्रा में जान का जोखिम हो सकता है। उन्होंने शिव भक्तों से यात्रा में मादक पदार्थों का सेवन न करने, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने और कूड़ा-कचरा विशेषकर प्लास्टिक का कचरा जंगल में न फैंकने का आग्रह किया।
श्रीखंड महादेव 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित
श्रीखंड महादेव 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित है, यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। इस दौरान ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। कहा जाता है कि अमरनाथ यात्रा से ज्यादा कठिन यह यात्रा है। मान्यता है कि भस्मासुर भगवान शिव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गया। इस पर माता पार्वती राक्षस के डर से रो पड़ी। उनके आंसुओं से यहां नयन सरोवर का निर्माण हुआ, जिसकी एक धारा 25 किलोमीटर नीचे भगवान शिव की गुफी निरमंड के देव ढांक तक गिरती है।