NEET विवाद के बाद सख्ती : एंटी पेपर लीक कानून में 10 साल की कैद और 1 करोड़ तक का जुर्माना
हाइलाइट्स
-
देशभर में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं को खत्म करने के लिए एक सख्त कानून
-
EET Paper Leak और UG परीक्षा में अनियमितताओं के बाद अब NTA ने CSIR-UGC-NET परीक्षा को स्थगित किया
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
नई दिल्ली। NEET Paper Leak और UG परीक्षा में अनियमितताओं के बाद अब NTA ने CSIR-UGC-NET परीक्षा को स्थगित कर दिया। इसी बीच केंद्र सरकार ने पेपर लीक जैसे अपराधों से निपटने के लिए शुक्रवार (21 जून) आधी रात को देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू कर दिया है।यह कानून लाने का फैसला सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया गया था।
पहले यह थी व्यवस्था
भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने और उनसे निपटने के लिए अब तक केद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास कोई ठोस कानून नहीं था। इसी कारण अक्सर पेपर लीक की घटनाएं होती रहती हैं। नीट परीक्षा और यूजीसी नेट परीक्षा आयोजित होने के एक दिन बाद ही रद्द होने पर कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 21 जून की रात इस कानून की अधिसूचना जारी की।
जानें कानून
-
इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
-
जुर्माना अदा न करने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।
-
सर्विस प्रोवाइडर के दोषी होने पर 1 करोड़ का जुर्माना लगेगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है।
-
यदि कोई संस्था संगठित अपराध करने में शामिल है, तो उसकी संपत्ति कुर्की और जब्ती के अधीन होगी और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूली जाएगी।
-
यदि अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किया गया है, तो उन्हें तीन से 10 वर्षों की जेल और एक करोड़ रुपये जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
इस कानून में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की परीक्षाएं शामिल होंगी। केंद्र के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।