बिजली बोर्ड में ओपीएस बहाली व पेंशनरों का पक्ष रखने वाले अधिकारी का तबादला
हाइलाइट्स
-
कर्मचारी यूनियन में रोष जताते हुए कहा कि प्रबंधनबदले की भावना से कर रहा काम
-
काम पेंशनरों के पे-फिक्सेशन व अन्य मामले निपाटने के लिए पहले ही नहीं अतिरिक्त स्टाफ
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
शिमला। बिजली बोर्ड में ओपीएस बहाली व पेंशनरों का पक्ष रखने वाले अधिकारी का तबादला कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों की सियासत गरमा गई है। यूनियन में रोष जताते हुए कहा कि प्रबंधन बदले की भावना से काम कर रहा है। पेंशनरों के पे-फिक्सेशन व अन्य मामले निपाटने के लिए पहले ही अतिरिक्त स्टाफ नहीं है। बिजली बोर्ड कर्मचारियों की पुरानी पेंशन तो बहाल नहीं हो पा रही है। लेकिन पिछले एक वर्ष से पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर कर्मचारियों की लड़ाई लड़ रहे व प्रदेश के हजारों पेंशनरों का पक्ष प्रबंधन वर्ग के रखने वाले लेखाधिकारी पैंशन हीरालाल वर्मा का बिजली बोर्ड प्रबंधन ने पद से तबादला कर दिया है।
प्रबंधन वर्ग के कर्मचारी नेता व लेखाधिकारी पैंशन के साथ इस बदले की भावना से काम करने पर बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन व पैंशनर्ज फोरम में प्रबंधन व सरकार के प्रति रोष बढ़ गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने प्रबंधन के इस तबादले को बदले की भावना से कार्य करना करार दिया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड प्रबंधन ने हीरा लाल वर्मा लेखाधिकारी पैंशन का स्थानातंरण पैंशनर्स व कर्मचारियों के बीच समन्वय को समाप्त करने के लिए नकारात्मक सोच के साथ किया गया है। इसको लेकर पैंशनर्स में भारी आक्रोश है और पैंशनर्ज फ ोरम इसका विरोध करता है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड का प्रबंधक वर्ग विशेष कर प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा बोर्ड का सही तरीके से मैंनेजमैंट करने में विफल रहा है।
बोर्ड पैंशनर्ज कर रहे पैंशनर्ज कर वित्तीय लाभों का इंतजार, प्रबंधन नहीं कर रहा गौर
-
कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि कर्मचारियों को सेवानिवृति के बाद ग्रेच्यूटी व लीव-इन-केशमेंट जैसे वितिय लाभों के लिए लंबा इंतजार करना पड़़ रहा है। छठे वेतन आयोग की सिफ ारिशों के आधार पर संशोधित पैंशन व वेतन की बकाया राशि का भुगतान भी लंबित पड़ा है और 31-12-2015 से पहले सेवानिवृत हुए कर्मचारियों का नैशनली पे-फि क्सेशन के आधार पर पेंशन संशोधन का मामला, अतिरिक्त स्टाफ मुहैया न करवाने की बजह से लंबित पड़ा है।
-
बिजली बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक का ध्यान बिजली बोर्ड की सम्पतियों को हस्तांरित करके बिजली बोर्ड को बर्बाद करने की तरफ है। बिजली खरीदने व बेचने का काम बिजली बोर्ड से छीन कर नियमों को ताक पर रखकर एनर्जी मैनेजमैंट सैंटर नाम की एक निजी कम्पनी गठित करना और बिजली बोर्ड की सम्पतियों को उसमें हस्तातंरण करना बिजली बोर्ड की बर्बादी के लिए बहुत बड़ा कदम है और यह मैनेजमैंट सैंटर विद्युत कानून 2003 के प्रावधानों के विपरीत है और सन् 2010 में विद्युत बोर्ड इम्पलाईर्ज व इंजीनियर्स के ज्वाईंट फ्रंट के साथ हुए समझौते का भी सरासर उल्लघंन है।
मुख्यमंत्री इस तबादले पर करें हस्ताक्षेप, यूनियन ने की मांग
यूनियन के पूर्व अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेखाधिकारी पैंशन के आदेशों को रद्द करने, एनर्जी मैनेजमैंट सैंटर के फैसले को वापिस लेने, बिजली बोर्ड की सम्पतियों के हस्तातंरण पर रोक लगाने और बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा की जगह स्थाई प्रबन्ध निदेशक लगाने की मांग की है।
बिजली बोर्ड पैंशनर्ज फोरम ने भी की तबादले को रद करने की मांग
उधर बिजली बोर्ड पैंशनर्र्ज फोरम के पदाधिकारियों ने भी तबादले को को वापिस लेने की मांग करता है। फोरम पदाधिकारियों ने कहा कि विद्युत बोर्ड लिमिटिड के कर्मचारियों को पुरानी पैंशन बहाली न करके इनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। मुख्यमन्त्री द्वारा पुरानी पैंंशन बहाली की प्रतिवद्धता को दाहराते हुए कई सार्वजनिक मंचों से बिजली कर्मचारियों को पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा करने के बावजूद अधिसूचना जारी न हो पाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं बोर्ड प्रबंधन पैंशनरों के मामलों प्रंबधन के समक्ष रखे वाले कर्मचारियों को ही तबादले कर रहा है जोकि बहुत ही निंदनीय है।