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नीट पर विवाद: पेपर लीक की जांच पूरी होने तक काउंसलिंग पर भी रोक की मांग

हाइलाइट्स

  • याचिकाकर्ता ने कहा- परीक्षा का पूरा संचालन विवेकहीन एवं मनमाने तरीके से हुआ
  • एसआईटी के गठन का निर्देश देने की लगाई गुहार
  • कहा- कई मेधावी छात्रों ने भविष्य में डॉक्टर बनने का अवसर खो

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


नई दिल्ली।  मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम) परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है। जिसमें नीट-यूजी 2024 की काउंसलिंग रोकने और परीक्षा को कैंसल करने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि  पांच मई को आयोजित नीट में गलत तरीके अपनाने और धोखाधड़ी हुई है। जिसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश देने और पेपर लीक की जांच पूरी होने तक काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग की गई है।

दायर याचिका में कहा गया है कि नीट के पेपर लीक की खबरों ने अंदर तक झकझोर कर रख दिया है क्योंकि कई मेधावी छात्रों ने भविष्य में डॉक्टर बनने का अवसर खो दिया है। याचिका के अनुसार, कुछ छात्रों ने 718 और 719 अंक हासिल किए हैं, जो सांख्यिकीय रूप से संभव नहीं है। परीक्षा का पूरा संचालन विवेकहीन एवं मनमाने तरीके और छात्रों को पिछले दरवाजे से प्रवेश देने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया। 67 छात्रों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं, जिनमें से आठ छात्र एक ही परीक्षा केंद्र से थे, जिससे एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षा के बारे में गंभीर संदेह पैदा होता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में शीर्ष अदालत ने नीट-यूजी के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, लेकिन इसी तरह के मामले में एनटीए और अन्य को नोटिस जारी किया था।

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता केवल पीड़ित छात्रों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से वर्तमान याचिका दायर कर रहे हैं।  जिन्होंने अपने-अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से अपना पूरा समय, गाढ़ी कमाई और ऊर्जा नीट, 2024 की तैयारी में लगाई थी, लेकिन उन्हें समान अवसर नहीं दिया गया।”

यह है नीट विवाद


13 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने नीट यूजी की परीक्षा (NEET UG Exam) पास की है, जिसमें से 67 उम्मीदवारों ने नंबर वन रैंक हासिल की है। इसी को लेकर विवाद है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने कैसे टॉप किया।  साथ ही कई अन्‍य सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कुछ बच्‍चों को 720 अंकों के पेपर में से 718 और 719 अंक भी मिले हैं। इस पर जानकारों ने सवाल उठाया है और उनका कहना है कि आखिर इतने नंबर्स कैसे मिल गए। आपको विस्‍तार से बताते हैं कि आखिर ये विवाद क्या है और क्यों इस पर इतने सवाल खड़े हो रहे हैं। उधर, अब यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।

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