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मुल्थान में त्रासदी के बाद प्रभावित परिवारों में आक्रोश, बड़ा गांव, कोठी कोहड़ में वाहनों की आवाजाही ठप

मुल्थान बाजार और साथ लगते पांच सौ मीटर क्षेत्र में मलबा और पत्थर हटाने को लेकर अड़े ग्रामीण

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


जोगेंद्रनगर(मंडी)। तहसील कार्यालय मुल्थान में 25 मैगावाट पन विद्युत परियोजना से आई त्रासदी के बाद प्रभावित परिवारों का गुस्सा भी शनिवार को प्रबंधन के खिलाफ फूटा। इस दौरान तहसील कार्यालय में प्रभावित परिवारों के समर्थन में आए ग्रामीणों ने पावर प्रोजेक्ट की लापरवाही पर खूब खरी खोटी सुनाई। मौके पर मौजूद राजस्व विभाग के अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के शांत करने के बाद भी ग्रामीणों का आक्रोश देखने को मिला और अब मुल्थान बाजार और साथ लगते क्षेत्रों में मलबा न हटाने को लेकर भी ग्रामीण अड़ गए हैं। इससे बड़ा गांव, कोठी कोहड़ की और जाने वाली मंडी कांगड़ा की बसों की आवाजाही भी ठप्प हो गई है। करीब पांच हजार से अधिक आबादी को कांगड़ा व मंडी में पहुंचने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्रो में भी मरीजों की आवाजाही प्रभावित हुई है। आक्रोशित ग्रामीणों की अगुवाई कर रही पंचायत प्रधान दुर्गेश कुमारी का कहना है कि कंपनी प्रबंधन से मुआवजे को लेकर लिखित रूप में समझौता होने के बाद ही वह मुल्थान बाजार से मलबा हटाने देगें। पानी के तेज बहाव से आए मलबे और पत्थर से प्रभावित परिवार के सदस्य ज्ञान चंद, प्रेम चंद, नानक चंद, प्रीतम, रणजीत, नागपाल, बीरी सिंह, रतन चंद, जगदीश, राजकुमार, रामचंद के परिवार के सदस्यों ने उचित मुआवजे की मांग करते हुए पन विद्युत परियोजना को भी गांव से हटाने की मांग की। मौके पर मौजूद तहसीलदार डॉ वरूण गुलाटी ने गुस्साए ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हुए आर्थिक सहायता और आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया। बावजूद उसके भी प्रभावित परिवारों की कहासुनी सुबह से देर शाम तक जारी रही ।मुल्थान बाजार मलबे और पत्थरों के ढेरों से लबालब हो जाने के बाद यहां का कारोबार भी चौपट हो गया है। करीब 50 दुकानाको नुकसान पहुंचा है। मनियारी, हार्डवेयर, होटल, ढाबा संचालकों के अलावा अन्य व्यवसाय प्रभावित  हो रहा है।

परियोजना प्रबंधन प्रभावित परिवारों के साथ, उचित मुआवजा दिलाएगी कंपनी: प्रोजेक्ट मैनेजर


मुल्थान हाइड्रो प्रोजेक्ट की एचआरडी में अचानक पानी के रिसाव से करोड़ों का नुकसान उठाने के बाद परियोजना प्रबंधन ने प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिलाने का ऐलान शनिवार को फिर किया है। वहीं आपदा की इस स्थिति में हर प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों में ठहरने व खाने की व्यवस्था भी परियोजना प्रबंधन के माध्यम से की जा रही है। प्रोजेक्ट मैनेजर देवी सिंह चौहान ने बताया कि पानी के रिसाव से एचआरडी टनल को भी खतरा पहुंचा है। जबकि 6.21 मीटर पैन स्टॉक की भी अपरोच टूट जाने से नुकसान पहुंचा है लेकिन इसके असुरक्षित होने की संभावनाएं कम है। बताया कि पावर प्रोजेक्ट का तकनीकी टीम के निरीक्षण और नए सिरे से अधिकारिक अनुमति मिलने के बाद ही विद्युत उत्पादन शुरू होगा। बहरहाल विद्युत उत्पादन ठप्प हो गया है। बता दें कि 2012 में परियोजना का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद 24 फरवरी को 25 मैगावाट विद्युत उत्पादन शुरू हुआ था। करीब सात करोड़ का राजस्व जुटाने के बाद यह हादसा हो गया। जबकि अनुमानित साढ़े तीन सौ करोड़ रूपये परियोजना के निर्माण पर खर्च हुए हैं।

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