हिमाचल की संस्कृति को कैनवास पर उकेर कर जोगेंद्रनगर की पिकीं ठाकुर ने देश भर में बनाई पहचान
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माया नगरी मुम्बई में रहकर हिमाचल की प्रकृति और पारंपरिक संस्कृति को विदेशों में भी दिलाया अधिमान
पोस्ट हिमाचल न्यूज एजेंसी
जोगेंद्रनगर(मंंडी)।कला कोई भी हो इसके लिए कोई भी आयु या वर्ग मौहताज नहीं होता यह केवल हमारे मन के अंदर जागृत भाव होते हैं जिसे कभी भी अपनी कला के माध्यम से उकेर जा सकता है। ऐसा कहना मंडी जिला के जोगेंद्रनगर के चौंतड़ा से संबंध रखने वाली चित्रकार पिंकी ठाकुर का है। जिन्होंने हिमाचल की संस्कृति को कैनवास पर उकेर कर प्रदेश का नाम देश भर में रोशन किया है।
माया नगरी मुम्बई में रहने के बाद भी वह हिमाचल की प्रकृति और पारंपरिक संस्कृति को अपनी पैंसिल और रंगों से उकेर कर विदेशों में भी अधिमान दिला चुकी है। इन दिनों हिमाचल भ्रमण में पहुंचने के बाद स्वयं पिंकी ठाकुर ने बताया कि उन्हें हिमाचल की संस्कृति से जुड़े मेहनती लोगों से जो लगाव 15 साल की आयु में लगा था।
वह मौजूदा परिवेश में भी बरकरार है। हिमाचल के लोगों की वेशभूषा, उनकी कार्यशैली को कैनवास में उकेर कर देश की कई गैलरियों में पहुंचाकर नाम कमा चुकी पिंकी ठाकुर ने बताया कि उनके मन में हिमाचल की संस्कृति की जो कल्पनाएं दिखी उन्हें कैनवास में उकेर कर हर वर्ग के लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें इंटरनैट मिडिया का सबसे अधिक सहयोग मिला। उनकी वैबसाईट पर तस्वीरों को हजारों नहीं लाखों फोलोवर ने सराहकर देश भर में अलग पहचान दिलाई है। वह जोगेंद्रनगर उपमंडल के चौंतड़ा गांव से संबंध रखती है और शादी के बंधन में बंधने के बाद वह अपने परिवार के साथ मुम्बई के महाराष्ट्र में रहकर हिमाचल की संस्कृति को अपने रंगों से दर्शाने का यह प्रयास बीते बीस सालों से कर रही है। रविवार को पिंकी ठाकुर ने बताया कि उन्हें 15 साल की आयु में स्कूल के समय चित्रकला का शोक पैदा हुआ था। डिजिटल आर्ट में डिग्री हासिल करने के बाद वह अपनी चित्रकला को हिमाचल की संस्कृति पर दर्शा रही है।
प्रदेश की राजधानी शिमला और कुल्लू की पारंपरिक वेशभूषाओं ने दिलाया सम्मान
मंडी जिला के जोगेंद्रनगर की पिंकी ठाकुर के द्वारा प्रदेश की राजधानी शिमला के मालरोड़ की चहलकदमी और यहां की ऐतिहासिक धरोहरों को कैनवास में उकेरने पर उन्हें देश भर में सम्मान मिला है। कुल्लू की पारंपरिक वेशभूषाओं में कार्यशैली से जुड़े लोगों की कलाकृतियों ने भी उन्हें अलग पहचान दिलाई। हिमाचल प्रदेश के आर्ट गैलरियों में भी उनकी कलाकृतियां देश भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। विदेशों में भी उनकी कलाकृतियां को सराहा जा रहा है।
युवा पीढ़ी को हिमाचल की संस्कृति से हो प्यार इसलिए चित्रकला को नहीं बनाया व्यापार-पिंकी ठाकुर
पिंकी ठाकुर ने बताया कि प्रदेश की युवा पीढ़ी को हिमाचल की संस्कृति से प्यार हो इसलिए उन्होंने अपनी चित्रकला को कभी भी व्यापार नहीं बनाया। वह हिमाचल की संस्कृति और प्रकृति को देश व विदेश में दर्शाने के लिए कैनवास पर तस्वीरें उकेरती है। बताया कि चित्रकला से जुड़े प्रेमियों को भी वह निःशुल्क कोचिंग के लिए प्रोत्साहित कर रही है।