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जोगेंद्रनगर अस्पताल में खून की कमी पड़ सकती है रोगियों पर भारी, सिजेरियन आपरेशन भी प्रभावित

 

  • सौ बिस्तरों वाले अस्पताल में ब्लड बैंक न होने से प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं की जान पर हर समय जोखिम

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


जागेंद्रनगर(मंडी)। उपमंडलीय अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं से जिंदगियां खतरे में हैं। सौ बिस्तरों वाले अस्पताल में रक्त के भंडारण न होने से गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन प्रसव पर भी जोखिम लगातार बढ़ रहा है। अचानक खून की जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिलाओं को भी टांडा व मंडी अस्पताल में रैफर करना विशेषज्ञ चिकित्सकों की मजबूरी बन चुकी है। सौ बिस्तरों वाले उपमंडलीय अस्पताल में ही हर माह 25 से 30 गर्भवती महिलाओं के प्रसव इस अस्पताल में हो रहे हैं। इसी बीच सिजेरियन प्रसव के दौरान अगर किसी गर्भवती महिला को खून की जरूरत पड़ जाए तो आनन फानन में या तो मरीज को टांडा व मंडी अस्पताल में रैफर करना पड़ता है। वहीं तीमारदारों को भी खून की व्यवस्था करने के लिए जदोजहद जारी है। दोनों ही स्थिति में मरीजों की जान पर जोखिम बढ़ जाता है। पूर्व में घटित ऐसे कई मामलों में गंभीर मरीजों की जान भी खून की कमी से चली गई। बावजूद उसके भी स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्था के लिए गंभीरता नहीं दिखाई है। अस्पताल में ब्लड बैंक के लिए एक भवन और अन्दर मशीनरी भी मौजूद है। सेवाएं दे रहे चिकित्सकों को ब्लड बैंक के संचालन का प्रशिक्षण भी कई मर्तबा करवाया जा चुका है। बावजूद उसके भी सवा लाख की आबादी के स्वास्थ्य पर निर्भर अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बता दें कि स्थानीय अस्पताल में गायनी, शल्य, हड्डी रोग, ईएनटी व दो एनास्थिजिया विशेषज्ञ चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं। इसी अस्पताल के ऑप्रेशन थियेटर में हर्निया, पत्थरी के अलावा अन्य गंभीर बिमारियों के आठ से अधिक ऑप्रेशन भी शल्य विशेषज्ञ चिकित्सक की मौजूदगी में होते हैं। हालांकि इन दिनों शल्य विशेषज्ञ चिकित्सक 15 मई तक अवकाश पर चले गए हैं। उनकी वापसी के दौरान जब मरीजों की मेजर शल्य चिकित्सा शुरू होगी तो उस दौरान भी ब्लड बैंक की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा।

डायलिसिस के मरीजों को भी अस्पताल में नहीं मिल रहा है खून


नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर के डायलिसिस यूनिट में किडनी के मरीजों को उपचार के दौरान अगर किसी मरीज को अचानक खून की जरूरत पड़ जाए तो इसकी आपूर्ति इस अस्पताल में नहीं हो पाती है। बताया कि आनन फानन में मरीजों को रैफर करना पड़ रहा है। वहीं तीमारदारों के माध्यम से खून की व्यवस्था करवाना चिकित्सकों की मजबूरी बन चुकी है।

 

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