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कांग्रेस में सियासी तूफान थामने शिमला पहुंचे पर्यवेक्षक, एक- एक करके कर रहे मुलाकात

 

हाइलाइट्स

  • सुक्‍खू बोले विक्रमादित्‍य का इस्‍तीफा स्‍वीकार करने का औचित्‍य नहीं, वह मेरे छोटे भाई जैसे

  • विक्रमादित्‍य बोले, मैं दबाव नहीं लेता बल्कि दबाव देता हूं

  • मुख्यमंत्री सुक्‍खू ने वीरवार मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला। हिमाचल में दिन भर सियासी ड्रामा चलता रहा। 6 विधायकों की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस के हाथों से राज्यसभा सीट जाने के बाद अब सत्‍ता फिसलने का भी खतरा बना हुआ है। बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। उधर, कांग्रेस में सियासी उठे सियासी तूफान को थामकर सत्‍ता बचाने के लिए शाम पांच बजे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा शिमला पहुंच गए हैं और एक-एक करके नेताओं से बात कर रहे हैं। इधर, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कह रहे हैं कि मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं है। विक्रमादित्य सिंह छोटे भाई हैं। उनकी नाराजगी भी दूर होगी। सीएम ने इस घमासान के बीच कल मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई है।

 

इस्तीफा स्वीकार करना या न करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मैं दबाव नहीं लेता बल्कि दबाव देता हूं। सीएम को बदलना चाहिए या नहीं, यह पार्टी हाईकमान तय करेगा।

विक्रमादित्य सिंह

 

  • राजधानी शिमला के चौड़ा मैदान स्थित होटल में पार्टी पर्यवेक्षकों ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के साथ सबसे पहले बैठक की।

  • इसके बाद विक्रमादित्य सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी पर्यवेक्षकों से मिले।

  • कांग्रेस हाईकमान की ओर से हिमाचल में भेजे गए दोनों पर्यवेक्षक सभी कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों से एक-एककर उनकी राय जान रहे हैं।

व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता देने वालों को पार्टी से बाहर निकालना जरूरी: सिद्धू


हिमाचल में सियासी मंजर पर नवजोत सिंह सिद्धू भी बोले हैं। उन्‍होंने एक्स पर लिखा कि हिमाचल की विफलता देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए संपत्तियों और उत्तरदायित्व के आकलन की मांग करती है। बड़े पदों पर बैठे छद्मवेशी गुप्त रूप से सीबीआई, ईडी और आईटी जैसी एजेंसियों की धुनों पर नाच रहे हैं जो कई बार हमारे लिए विनाशकारी दिन लेकर आए हैं। पार्टी में मौजूद ऐसे लोगों को बाहर निकालना जरूरी है जो सामूहिक भलाई के ऊपर अपने व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता देते हैं। उनके कृत्यों से पार्टी के अस्तित्व पर गहरी चोट लगी है। घाव ठीक हो सकते हैं लेकिन मानसिक आघात बरकरार रहेंगे। उनका लाभ ही कांग्रेस कार्यकर्ता का सबसे बड़ा दर्द है।

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