क्या गुड़िया प्रकरण की तरह पालमपुर कांड भी बनकर रह जाएगा महज एक चुनावी मुद्दा
हाइलाइट्स
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महिला सुरक्षा पर कोई भी ठोस नीति लाने का कोई वायदा नहीं कर रहा
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चुनावी दौर में हुए इस शर्मनाक हादसे को भुनाने में जुटी भाजपा और अपने बयान में घिर रहे सीएम सुक्खू
पंकज पंडित
पालमपुर में मानवता को शर्मसार कर देने वाले प्रकरण के बाद अब इसपर राजनीति शुरू हो चुकी है। विशेषकर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के माहौल को देखते हुए भाजपा इसे लॉ एंड आर्डर से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। वहीं, सुखविंद्र सिंह सुक्खू के एक बयान ने भाजपा और हमलावर बना दिया है और कांग्रेस डिफेंसिव मोड पर नजर आ रही है।
पालमपुर में छात्रा पर हुए जानलेवा हमले से जहां पूरा प्रदेश सकते में है। वहीं, अब इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष की आरोप प्रत्यारोप की राजनीति गरमा गई है। अगर हम इतिहास में देखें तो इससे पूर्व भी शिमला का गुडिया प्रकरण बड़ा राजनैतिक मुद्दा बना था और इसका खामियाजा वीरभद्र की कांग्रेस सरकार को उठाते हुए सत्ता से ही हाथ धोना पड़ा था। हालांकि भाजपा ने भी वायदे बहुत किए थे, लेकिन गुडिया व होशियार सिंह मामले मात्र हेल्पलाइन तक ही सिमट गए। जबकि आज तक उनके परिजन जांच के संतुष्ट नहीं हैं।
इस मामले में पहले 24 घंटे तो पक्ष विपक्ष से कोई भी बढ़ा बयान नहीं आया। सबसे पहले मंडी से संसदीय उम्मीदवार कंगना ने छात्रा के पूरे इलाज की जिम्मेवारी उठाने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से कही। उसके बाद तुरंत सरकार हरकत में आई और सीएम सुखविंद्र सिहं सुक्खू ने परिजनों से मिलकर छात्रा का पूरा इलाज सरकार के माध्यम से करवाने की घोषणा की। एबीवीपी के पूरे प्रदेश में प्रदर्शन के बाद भाजपा भ मैदान में उतरी और उन्होंने कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को मु्द्दा बनाते हुए सरकार को घेरा। विपिन परमार ने एसडीएम के माध्यम से पालपमुर में ज्ञापन दिया। वहीं देर सांय नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी पीडि़ता के परिजनों से मिलकर इसे सरकार की नाकामी बताया।
सुखविंद्र सिंह सुकखू के इस मामले को कानून व्यवस्था का नहीं बल्कि आपसी विवाद संबंधित मामला बताते ही बीजेपी ने अब इस मुद्दे पर सीएम को घेरना शुरू कर दिया है। 1500-1500 रुपए देकर महिला सशक्तिकरण की बात कहने वाली कांग्रेस व महिलाओं को पैसे न देने को लेकर बार बार घेरने वाली भाजपा दोनों ही इस मामले में राजनीति कर रहे हैं, लेकिन महिला सुरक्षा पर कोई भी ठोस नीति लाने का कोई वायदा नहीं कर रहे हैं। चुनावी दौर है और हर मंच पर यह मुद्दा उठेगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह महज चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगा क्या है गुडिया प्रकरण की तरह ही वोट जुटाने का माध्यम बनेगा या वाकई में हम कोई बड़ा निर्णय लेकर महिलाओं को सुरक्षित वातारवरण देने की ओर कोई पहल कर पाएंगे। इस घटना के लिए जितनी दोषी सरकार, पुलिस, प्रशासन और राजनैतिक व्यवस्था है, उससे अधिक दोषी हमारी सामाजिक व्यवस्था है जो आज भी महिलाओं की न में हां ही ढूंढती है।