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एचआरटीसी के मिनी म्यूजियम दिखेगी 1960 की पुराने बसों के मॉडल

 

हाइलाइट्स

  • मुख्यालय में ही बनेगा म्यूजिम, निगम के 50 वर्षों का इतिहास आएगा नजर

  • पुराना बस स्टैंड स्थित एचआरटीसी का मुख्यालय भी एक रोचक स्थान बनेगा

  • मिनी म्यूजियम में निगम का पूरा इतिहसा जान सकेंगे

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी


शिमला, गीता भारद्वाज।  शिमला के पुराना बस स्टैंड स्थित एचआरटीसी का मुख्यालय भी एक रोचक स्थान बनेगा। एचआरटीसी मुख्यालय में एक मिनी म्यूजिम स्थापित करने जा रहा है। इस म्यूजियम में प्रदेशवासियों को पर्यटकों को निगम की बसों व एच.आर.टी.सी का 50 साल का सफर देखने को मिलेगा। वहीं खास बात ये भी होगी कि लोगों व पर्यटकों को इस म्यूजिम को देखने के लिए कोई फीस भी अदा नहीं करनी होगी। वहीं लोग इस मिनी म्यूजियम में निगम का पूरा इतिहसा जान सकेंगे और अपना ज्ञान बढ़ा सकेंगे, दशकों पहले निगम की बसें कैसे होती। कैसे आधुनिकता के दौर में बसों को परिवेश बदला, किस किस टैक्नोलोजी का कब का जन्म हुआ और कैसे बसें डीजल से आज बिजली यानी बैटरी से चलने लगी। निगम पुराने बस स्टैंड स्थिम मुख्यालय में पुरानी यानी 1960 के बाद की बसों के मॉडल तैयार कर चुका है। ये बसें देखने में देखने को असली लगती है। जिससे हिमाचलियों की यादे भी ताजा होती है। इन बसों की पूरी जानकारी निगम ने एकत्रित की है, कि कौन सी बस किस वर्ष की है और ये कैसे चलती थी कितना माईलेज देती थी और कैसा इंजन बसों में प्रयोग होता था।

50 वर्ष में प्रवेश की चुका है निगम


प्रदेश के लाखों लोगों को रोजाना सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाने में एच.आर.टी.सी बीते 50 वर्षों से अहम भूमिका निभा रहा है। इसलिए एच.आर.टी.सी. को हिमाचल की जीवन रेखा भी कहा जाता है। निगम अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इसी उपलक्ष्य में निगम द्वारा कई नई पहल शुरू की जा रही है।

एचआरटीसी से जुड़ी मिलेंगी कहानियां


मिनी मज्यूजियम में एचआरटीसी से जुड़ी कुछ कहानियों को भी लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही एच.आर.टी.सी में किस प्रकार से आधुनिकरण हुआ है, इसे लेकर भी म्यूजियम में प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके अतिरिक्त निगम की ट्रॉफियांं भी सजाई जाएगी। यह निगम के हैड ऑफिस आने वाले लोगों के लिए एक वॉकिंग एक्सपीरियंस की तरह होगा, जिसमे लोग एच.आर.टी.सी. के बारे में जान पाएंगे।

 

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इसी उपलक्ष पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। एचआरटीसी आधुनिकता की ओर आगे बढ़ रहा है और नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी के चलतेे पुरानी बसों के मॉडल भी बनाए जा रहे हैं। ये बसों के मॉडल 1960 के समय के हैं, जोकि देखने में बहुत ही आकृषित हैं। इन्हें देखकर पुराने समय दौर जहन में आ जाता है। अभी करीब 12 बसों के मॉडल तैयार किए जा चुके हैं।

रोहन चंद ठाकुर, एचआरटीसी प्रबंध निदेशक 

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