Local NewsLok Sabha ElectionPOLITICSShimla

बीजेपी प्रदेश अनुसूचित जाति के प्रभारी, कांग्रेस का हाथ थामने की कर रहे तैयारी

 

हाइलाइट्स

  • भाजपा के सुरेश कश्‍यप से सामने कांग्रेस भाजपा के ही वीरेंद्र कश्‍यप को उतारने की फ‍िराक में
  • दो बार सांसद रहे भाजपा के वीरेंद्र कश्‍यप थामेंगे कांग्रेस का हाथ
  • कांग्रेस के संपर्क में वीरेंद्र कश्‍यप, 5 व 6 को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में होगा अंतिम फैसला
  • धनी राम शांडिल और वीरेंद्र कश्‍यप की जोड़ी से जातीय समीकरण साधने के प्रयास

जोगिंद्र कुमार


सुबाथू/ सोलन। कांग्रेस खेमे में बागवत की आग फूंककर तमाशा देखने वाली भाजपा की राहें भी आसान नहीं लग रही है। टिकट न मिलने से खफा भारतीय जनता पार्टी अनुसचित जाती के प्रभारी एवं शिमला संसदीय क्षे्त्र से दो बार भाजपा के सांसद रहे वीरेंद्र कश्‍यप कांग्रेस का हाथ थामने को तैयार बैठे हैं। वहीं, कांग्रेस भी जैसे तो तैसे का दांव खेलते वीरेंद्र कश्‍यप को ि‍टकट दे सकती है। यदि ऐसा हुआ तो शिमला संसदीय क्षेत्र में मुकाबला रोचक हो जाएगा। कश्‍यप बनाम कश्‍यप की चुनावी फील्‍ड सजेगी। दूर के सही लेकिन आपस में रिश्‍तेदार आमने सामने होंगे। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के जातीय समीकरण बिगड़ना तय है। दूसरी ओर कांग्रेस में सोलन के विधायक धनी राम शांडिल और वीरेंद्र कश्‍यप की जोड़ी जातीय समीकरण को खूब साधेगी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेताओं की वीरेंद्र कश्यप के साथ मीटिंगें हो चुकी है। भाजपा डैमेज कंट्रोल करते हुए वीरेंद्र कश्‍यप को मनाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है। उधर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू भी शिमला लौट आए हैं। चर्चा के बाद वीरेंद्र कश्यप को शिमला लोकसभा से टिकट देने को लेकर सहमति बन सकती है। हालांकि अंतिम फैसला 5 व 6 अप्रैल को दिल्ली में होने जा रही स्क्रीनिंग और केंद्रीय चुनाव समिति में होगा। मीटिंग के लिए वीरेंद्र कश्यप को कांग्रेस का बुलावा शिमला के लिए भी आ सकता है।

 

पिछले 47 सालों से लगातार कोहली बिरादरी का शिमला लोकसभा पर कब्जा है


सुरेश कश्‍यप और वीरेंद्र कश्‍यप दोनों कोहली बिरादरी से संबंधित हैं। यदि दोनों मैदान में होंगे तो वोट टूटना तय है। वहीं, धनी राम शांडिल भी कोहली समुदाय से आते हैं। ऐसे में यहां भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 2017 में कांग्रेस को 42.1 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि भारतीय जनता पार्टी को 49.2% वोट मिलेे। जब सुरेश कश्यप को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो 2022 में भाजपा को प्रदेश स्तर पर मात्र 42.9% वोट मिले। जबकि कांग्रेस 43.9% वोट लेने में कामयाब रही। शिमला पार्लियामेंट में भाजपा सरकार के तीन में से दो मंत्री डॉ राजीव सहजल और सुरेश भारद्वाज अपना चुनाव2022 में हार गए। केवल पावंटा साहब से सुखराम चौधरी अपना चुनाव जीतने में कामयाब रहे। ऐसे में  शिमला लोकसभा चुनाव में कोहली बिरादरी जीत में एक अहम भूमिका निभाती है । 1977 से लेकर आज तक जो भी शिमला लोकसभा से सांसद बने वह इसी बिरादरी से संबंध रखते थे अब दोनों ही उम्मीदवार कोहली बिरादरी से उम्मीदवार हो सकते हैं। 1977 में बालक राम के पश्चात लगातार छह बार कृष्ण सुल्तानपुरी और फिर धनीराम शांडिल शांडिल ल के बाद दो बार वीरेंद्र कश्यप वीरेंद्र कश्यप के बाद सुरेश कश्यप यह सब कोहली बिरादरी से संबंध रखते हैं।

 

कांग्रेस के पास अभी मजबूत चेहरा नहीं


फिलहाल शिमला संसदीय हलके में कांग्रेस के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है। अभी पच्छाद विधानसभा से 2022 का चुनाव लड़ चुकी दयाल प्यारी, कांग्रेस अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष अमित नंदा, पूर्व विधायक सोहन लाल का नाम चर्चा में है।

कांग्रेस के पक्ष में समीकरण


2022 के विधानसभा के रिजल्ट के आधार पर शिमला संसदीय क्षेत्र के समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहे हैं। शिमला हलके के 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के पास 13 विधायक, बीजेपी के पास 3 और एक इंडिपेंडेंट एमएलए हैं। सोलन जिले की 5 सीटों पर कांग्रेस का क्लीन स्विप हुआ है। वहीं सिरमौर में पांच में से दो सीटें ही बीजेपी जीत पाई है। शिमला जिले के 8 में 7 सीटें शिमला संसदीय क्षेत्र में है। इसमें से 6 पर कांग्रेस का कब्जा है। कुल मिलाकर प्रदेशाध्‍यक्ष रहते हुए सुरेश कश्‍यप शिमला संसदीय क्षेत्र से महज तीन सीटें ही दिलवा सके थे।

 

शिमला सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित


शिमला संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पूर्व में शिमला सीट से सीटिंग एमएलए विनोद सुल्तानपुरी को लड़ाने की तैयार थी। मगर जिस तरह सरकार पर सियासी संकट आया है, उसे देखते हुए पार्टी ने सीटिंग एमएलए को चुनाव नहीं लड़ाने का निर्णय लिया है। इससे नए व मजबूत प्रत्याशी की तलाश है।

 

लगातार तीन बार हार चुकी कांग्रेस


शिमला संसदीय सीट पंद्रह सालों से भाजपा के कब्‍जे में है। 2009 व 2014 में वीरेंद्र कश्यप, 2019 में सुरेश कश्यप सांसद चुने गए। इस बार भी भाजपा ने सुरेश कश्यप पर दावं खेला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *